विंबलडन को फैशन शो न बनाएं, खेल की गरिमा बनाए रखें: सोफी चौधरी ने सेलेब्रिटीज़ पर उठाए सवाल

Don't make Wimbledon a fashion show, maintain the dignity of the game: Sophie Choudhary raises questions on celebritiesचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: विंबलडन 2025 में भारतीय सेलेब्रिटीज़ की बढ़ती मौजूदगी जहां सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही है, वहीं गायिका और अभिनेत्री सोफी चौधरी ने इस ट्रेंड पर नाराज़गी जताते हुए इसे खेल की गरिमा के खिलाफ बताया है। उन्होंने गुरुवार, 15 जुलाई को इंस्टाग्राम स्टोरीज़ के ज़रिए एक लंबा नोट साझा कर कहा कि विंबलडन को “अगला कान्स फिल्म फेस्टिवल” न बनने दिया जाए।

सोफी ने लिखा, “हे भगवान, कृपया विंबलडन को अगला कान्स मत बनने देना।” उन्होंने आगे बताया कि वो पिछले 30 सालों से टेनिस प्रेमी रही हैं और पीट सम्प्रास, आंद्रे अगासी, राफा नडाल और अब कार्लोस अलकाराज़ के खेल से भावनात्मक रूप से जुड़ी रही हैं। उन्होंने बताया कि कैसे स्कूल की पढ़ाई के बीच भी वह मैच देखने के लिए समय निकालती थीं और मार्टिना नवरातिलोवा का आखिरी विंबलडन फाइनल भी उन्होंने स्टेडियम में देखा है।

हालांकि इस बार उन्होंने देखा कि कई भारतीय इंफ्लुएंसर और सेलेब्स सिर्फ “देखे जाने” के लिए विंबलडन पहुंचे हैं। उन्होंने लिखा, “कुछ लोग सच में खेल के प्रशंसक हैं, लेकिन ज़्यादातर लोग वहां सिर्फ सोशल मीडिया के लिए पोज़ देने आए हैं। उन्हें न तो खेल की जानकारी है, न ही खिलाड़ियों में दिलचस्पी।” अंत में उन्होंने कहा, “यह सब देखकर सिर्फ ‘उफ्फ’ निकलता है। कृपया दुनिया के सबसे खूबसूरत टूर्नामेंट्स में से एक को बर्बाद न करें।”

दूसरी ओर, अभिनेत्री सोनम कपूर ने इस ट्रेंड को सकारात्मक रूप में देखा। फैशन कमेंट्री पेज Diet Sabya की पोस्ट पर उन्होंने लिखा, “कैप्शंस बहुत अच्छे हैं! हर जगह इंडियंस… बहुत अच्छा लग रहा है ना?”

इस साल विंबलडन में अनुष्का शर्मा-विराट कोहली, प्रियंका चोपड़ा-निक जोनास, परिणीति चोपड़ा-राघव चड्ढा, फरहान अख्तर-शिबानी दांडेकर, जान्हवी कपूर, सोनम कपूर, प्रीति ज़िंटा और उर्वशी रौतेला जैसे कई भारतीय सितारे नज़र आए।

इस बीच विंबलडन 2025 का फाइनल मैच बेहद रोमांचक रहा, जहां जानिक सिनर ने कार्लोस अलकाराज़ को हराया। फाइनल के बाद आयोजकों ने भारतीय सिनेमा को खास सम्मान देते हुए अभिनेता थलपति विजय और उनकी आगामी फिल्म “जन नायकन” को श्रद्धांजलि दी।

जहां एक तरफ ग्लैमर और बॉलीवुड विंबलडन को नई पहचान दिला रहे हैं, वहीं सोफी चौधरी जैसी खेल प्रेमियों की आवाज़ यह याद दिलाती है कि टेनिस जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट की आत्मा को सिर्फ लाइमलाइट के लिए कुर्बान नहीं किया जाना चाहिए।

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