अहम और जिद के कारण तीसरे विश्वयुद्ध के मुहाने पर दुनिया
निशिकांत ठाकुर
बच्चों जब ज़िद पर अड़ते हैं तो उन्हें बहला—फसलाकर, प्यार से मना लिया जाता है, लेकिन यदि राष्ट्राध्यक्ष अपने राष्ट्र सहित दूसरे राष्ट्र का नाश करने के लिए जिद पर उतारू हो जाए तो उसे कौन और कैसे समझाए? रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग में यही तो देखने के लिए मिल रहा है। यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों से करोड़ों लोग पलायन कर चुके हैं। दोनों देशों के हजारों आमलोग और सैनिक मारे जा चुके हैं। इसके बावजूद युद्ध रुकने के आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच युद्ध रोकने के लिए कई बैठकें भी हुईं, जो बेनतीजा रहीं। अभी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जैलेंस्की ने रूस से संबंध रखने वाले ग्यारह राजनीतिक दलों की गतिविधियां निलंबित कर दी हैं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा है कि तटीय शहर मारीपोल की रूसी सैनिकों द्वारा की गई घेराबंदी को इतिहास में युद्ध अपराध के रूप में जाना जाएगा। जो भी हो, रूस की सामरिक शक्ति को यूक्रेन और नाटो देशों ने जिस तरह से कम करके आंका था, वह उनकी भूल साबित हुई, क्योंकि संयुक्त रूस के अलग—अलग होने के बाद भी उसकी सामरिक शक्ति में कोई कमी नहीं हुई है। पता नहीं, यूक्रेन किस तरह अन्य देशों और खासकर अमेरिका के बहकावे में आकर रूस से युद्ध करने के लिए तैयार हो गया। अब यूक्रेन के निर्दोष नागरिकों को सरकारी अक्खड़पन के कारण अपने जीवन के साथ ही राष्ट्रीय संपत्ति को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस घमासान में भारतीय पक्ष तटस्थ की भूमिका का निर्वाह कर बहुत ही उचित कार्य किया है। प्रधानमंत्री सहित विदेश मंत्रालय का यह निर्णय वर्ष 1971 में भारतीय विदेश मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह और सोवियत रूस के विदेश मंत्री आइन्द्रे ग्रोमिको द्वारा किए गए समझौता का ही तो पालन करना माना जाएगा। फिलहाल इस्तांबुल में पिछले सप्ताह हुई वार्ता में रूस ने कुछ शर्तों को यूक्रेन से मनवाने के बाद यह फैसला किया है कि वह यूक्रेन पर हमला धीमा कर देगा । चूंकि यूक्रेन बाजी हार चुका है इसलिए रूस का यह कहना कि वह अपना आक्रमण कम कर देगा यूक्रेन को मरहम लगाने के लिए अच्छा रहेगा और विश्व में होने वाली विश्व युद्ध के खतरे को टाल सकता है ।
एक वीडियो संदेश द्वारा राष्ट्र को संबोधित करते हुए जैलेंस्की ने कहा है कि रूस द्वारा शुरू किए गए व्यापक युद्ध तथा उसके साथ कुछ राजनैतिक दलों के संबंध को देखते हुए ऐसे दलों की गतिविधियों को मार्शल कानून की अवधि तक के लिए निलंबित किया गया है। जेलेंस्की कहते हैं, शांतिप्रिय शहर मालीपोल पर हमला करके रूस को क्या मिला? रूस की आलोचना करते हुए जैलेंस्की ने कहा, यह आतंक है, जो सैकड़ों वर्षों तक लोगों को याद रहेगा। काश, जैलेंस्की रूस के साथ युद्ध से पहली ही बैठक में इस बात को समझ लेते तो बेहतर होता। अब तो पानी सिर के ऊपर से गुजर चुका हैं, क्योंकि न तो नाटो देशों ने और न ही अमेरिका ने यूक्रेन के पक्ष में अपनी सेना तथा युद्ध सामग्री को भेजकर युद्ध रूस के खिलाफ लड़ने में मदद कर सका।
पिछले हफ्ते करीब चालीस हजार लोगों ने मारीपोल से पलायन किया है। यूक्रेन की सांस्कृतिक राजधानी लबीब के लोग भी युद्ध की लपटें महसूस कर रहे हैं। माना जा रहा है कि जीत न मिलने की स्थिति में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन महीनों तक यूक्रेन पर हमले जारी रख सकते हैं। फिर भी यदि युद्ध नहीं संभला तो अंत में उनके परमाणु हथियार तो हाई-अलर्ट पर हैं ही, जिसके बाद उन दोनों देशों के अतिरिक्त कई देश समूल नष्ट हो जाएंगे। लेकिन, युद्ध काल में उसकी अंतिम विभीषिका की परवाह कौन करता है!
हालांकि, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की परेशानियां भी कम होती नहीं दिख रही हैं। यूक्रेन में जहां रूसी सैनिकों को युद्ध के लगभग एक महीने बाद भी काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है, वहीं राष्ट्रपति पुतिन को अपने जान का खतरा सताने लगा है। शायद यही वजह है कि संभावित परमाणु हमले के डर से उन्होंने रहस्यमय तरीके से अपने परिवार के सभी सदस्यों को कहीं छिपा दिया है। जबकि, अपने पर्सनल स्टाफ के लगभग एक सौ लोगों को काम से निकाल दिया है।
पुतिन को डर है कि उन्हें जहर देकर मारा जा सकता है। रूस के कई वरिष्ठ राजनीतिक लोगों ने पुतिन के करीबी लोगों को उनकी हत्या करने की कोशिश करने के लिए प्रोत्साहित किया है। यही कारण है कि वह इतने खौफजदा हैं, क्योंकि दक्षिण कैरोलिना के सिनेटर लिंडसे ग्राहम ने ट्वीट कर पुतिन की हत्या करने का आह्वान किया था। लिंडसे ने ट्वीट किया था कि इन सब को खत्म करने का सिर्फ एक तरीका यही हो सकता है कि पुतिन को बाहर निकाल दिया जाए। ऐसा आप अपने देश के लिए करेंगे, दुनिया के लिए करेंगे। फ्रांस के एक खुफिया एजेंट का भी यह दावा है कि क्रेमलिन के अंदर के लोग तख्ता पलट कर पुतिन को सत्ता से बेदखल कर हत्या भी कर सकते हैं। जहर की बात इसलिए मजबूत होती है, क्योंकि रूसी सरकार अपने दुश्मनों को जहर देकर मारने के लिए ही जानी जाती है। इस फ्रेंच एजेंट का कहना है कि रशियन इंटेलिजेंस इकलौती ऐसी एजेंसी है जो जहर का इस्तेमाल करती है।
विश्व के सभी राष्ट्राध्यक्ष को इस बात की जानकारी निश्चित रूप से होगी कि आखिर युद्ध का परिणाम क्या होगा, लेकिन समझ में आम लोगों को यह बात नहीं आती कि जब राष्ट्र में कोई मानव जीवित ही नहीं बचेगा तो युद्ध का किसको क्या लाभ मिला? रूस और यूक्रेन की सहायता के लिए और विशेषकर रूस की मदद के लिए यदि कोई देश सामने आकर युद्ध को शांत करने का प्रयास कराता है या किसी के पक्ष में युद्ध लड़ने की बात सोचता है, तो महाशक्ति के रूप में अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की तरफ से उसे परिणाम भुगत लेने की धमकी मिलती है। भारत को भी अमरीकी सरकार द्वारा चेतावनी दी जा चुकी है कि यदि भारत अपनी तटस्थता की नीति का परित्याग नहीं करता है तो उसे इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से कहा भी था कि उन्होंने चीनी अपने समकक्ष शी चिनफिंग को चेतावनी दी है कि यदि चीन, यूक्रेनी शहरों पर भीषण हमले कर रहे हैं और यदि रूस को मदद मुहैया कराने का फैसला करता है, तो बीजिंग के लिए इसके कुछ निहितार्थ और परिणाम होंगे।
रूस ने यूक्रेन के कई शहरों को तहस—नहस कर दिया है जिससे लाखों लोग बेघर हो गए हैं। आस—पड़ोस के देशों में पलायन कर चुके हैं। जनजीवन अस्तव्यस्त हो चुका है। जो बाइडेन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बातचीत बिल्कुल साफ थी जिसमें बाइडेन ने चिनफिंग को पुतिन के कदमों को लेकर अमरीकी आकलन की जानकारी दी। राष्ट्रपति ने इस बात पर चिंता जताई कि रूस यूक्रेन में जैविक हथियारों के उपयोग के आशंकाओं को लेकर दुष्प्रचार कर रहा है। यूक्रेन के कई शहर तबाह हो चुके हैं और वहां धुआं—ही—धुआं नजर आ रहा है। रूस ने मिसाइलों से स्कूलों, अस्पतालों तक पर हमला बोला है, जिससे कई मासूम बच्चे और नागरिकों की जान चली गई। कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति जैलेंस्की ने कहा कि यूरोप को रूस के साथ पूरा व्यापार रोक देना चाहिए।
हालांकि, यूक्रेन को भी कमतर मानना उचित नहीं है। राष्ट्रपति जैंलेस्की ने कहा, रूसी सेना ने हमारे देश के नागरिकों को झुकाने के लिए बड़े शहरों की घेराबंदी कर ली है, लेकिन उनकी यह रणनीति विफल हो जाएगी। जैलेंस्की ने चेतावनी दी है कि रूस यदि युद्ध खत्म करके सार्थक बातचीत शुरू नहीं करता है तो आनेवाले समय में उसे बहुत कुछ गंवाना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी धमकी दी है कि यदि उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से वार्ता विफल रहती है, तो तीसरा विश्व युद्ध तय है। जैलेंस्की ने यह भी कहा मैं पिछले दो साल से बातचीत के लिए तैयार था । मुझे लगता है कि बिना बातचीत के युद्ध खत्म कर पाना मुश्किल है।
अगर बातचीत की संभावना बनती है, तो एक प्रारूप का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। लेकिन, अगर वार्ता विफल रहती है, तो तीसरा विश्वयुद्ध होकर रहेगा। जैलेंस्की ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने की अपील भी की है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और उसके लिए न्याय किया जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो रूस को इतनी बड़ी कीमत चुकानी होगी कि कई पीढ़ियों तक रूस अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाएगा। क्रीमिया के रूस में विलय की वर्षगांठ पर आयोजित मास्को में एक रैली और संगीत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि यूक्रेन और क्रीमिया, बेलारूस और मालदोवा ये सभी मेरे देश हैं।
यह रैली युद्ध में रूस को भारी सामरिक क्षति के बीच हुई थी। इस बीच रूस में युद्ध का विरोध बढ़ने लगा है। पुलिस को कई जगह प्रदर्शनों से निपटने के लिए सख्ती बरतनी पड़ी। युद्ध की विभीषिका को देखते हुए विश्व के लगभग सभी राजनेता इसे खत्म करने की अपील कर रहे हैं, लेकिन कुछ राष्ट्राध्यक्ष इस युद्ध में अपनी रोटी सेंकने में लगे हुए हैं। युद्ध शीघ्र समाप्त हो और मानव जीवन शांतपूर्ण हो, भारत के नागरिक तो यही विश्व से अपेक्षा रखता है। आखिर शांति का हल तो बातचीत से ही निकलेगा। इसलिए निरंतर प्रयास तो राष्ट्राध्यक्षों को जारी रखना ही पड़ेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)