जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक: जयशंकर ने ऊर्जा सुरक्षा, समुद्री सहयोग और वैश्विक साझेदारी पर रखा भारत का दृष्टिकोण
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: विदेश मंत्री (ईएएम) एस. जयशंकर ने जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वार्ताएँ कीं और भारत की वैश्विक भूमिका को मज़बूती से प्रस्तुत किया।
ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण खनिजों पर आयोजित आउटरीच सत्र में जयशंकर ने कहा कि “निर्भरता कम करना, पूर्वानुमान को मज़बूत करना और लचीलापन बनाना” आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि “अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है” और नीति-निर्माण में बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया।
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत कार्यान्वयन को “कुंजी” मानता है और इस दिशा में वैश्विक भागीदारों के साथ रचनात्मक रूप से कार्य करने के लिए तैयार है।
बुधवार को समुद्री सुरक्षा पर विशेष सत्र में भाग लेते हुए, उन्होंने भारत को “समुद्री क्षेत्र में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता (First Responder)” के रूप में उभरते हुए बताया। उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त अभ्यासों और रसद समझौतों के माध्यम से एचएडीआर (HADR) साझेदारी को गहरा करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
जयशंकर ने भारत की ओर से प्रमुख सिफ़ारिशें भी साझा कीं:
विश्वसनीय और विविध समुद्री संपर्कों की आवश्यकता, नौवहन बुनियादी ढाँचे को सशक्त करने और लचीले गलियारों के विकास के प्रयास,
समुद्री अपराधों जैसे समुद्री डकैती, तस्करी और अवैध मछली पकड़ने (IUU Fishing) से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का आह्वान।
उन्होंने कहा कि “यूएनसीएलओएस (UNCLOS) को बरकरार रखना आवश्यक है” और वैश्विक समृद्धि के लिए सुरक्षित जलमार्गों और लचीले बंदरगाहों की केंद्रीय भूमिका पर ज़ोर दिया।
बैठक के दौरान जयशंकर ने यूरोपीय संघ, यूक्रेन, सऊदी अरब और अमेरिका सहित कई देशों के विदेश मंत्रियों से द्विपक्षीय चर्चाएँ कीं। यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रेई सिबिहा के साथ मुलाकात में दोनों नेताओं ने युद्ध की स्थिति और हालिया घटनाक्रमों पर चर्चा की। सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान के साथ बातचीत में ऊर्जा, क्षेत्रीय स्थिरता और कनेक्टिविटी को लेकर विचार-विमर्श हुआ। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार, आपूर्ति श्रृंखलाओं और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।
जयशंकर ने कहा कि भारत विश्व समुदाय के साथ “साझेदारी, लचीलापन और सहयोग” की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहता है, ताकि वैश्विक चुनौतियों का समाधान सामूहिक रूप से किया जा सके।
