गैरी कर्स्टन का खुलासा: 2011 वर्ल्ड कप में युवराज सिंह का चयन ‘पक्का’ नहीं था, धोनी ने टीम में शामिल करने पर दिया जोर

Gary Kirsten reveals, Yuvraj Singh's selection in 2011 World Cup was not 'certain'चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: भारत के 2011 वर्ल्ड कप विजेता कोच गैरी कर्स्टन ने एक बड़ा खुलासा किया है। कर्स्टन ने कहा है कि उस ऐतिहासिक टूर्नामेंट के हीरो रहे ऑलराउंडर युवराज सिंह टीम में चयन को लेकर पूरी तरह से ‘पक्के’ नहीं थे। 2010 में युवराज का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था, जिसके चलते चयनकर्ताओं के बीच उनके नाम को लेकर संशय था। लेकिन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और कोच कर्स्टन दोनों ने उन पर भरोसा जताया और अंततः उन्हें टीम में चुना गया — और फिर युवराज ने उस भरोसे को बखूबी निभाया।

गैरी कर्स्टन ने Rediff.com से बातचीत में कहा, “भगवान का शुक्र है कि हमने उसे चुना, क्योंकि यह बहुत ही नज़दीकी फैसला था। यह कोई आसान चयन नहीं था। चयनकर्ताओं के बीच 15 खिलाड़ियों को लेकर लंबी बहस हुई थी।” कर्स्टन ने आगे बताया कि वो और कप्तान धोनी दोनों युवराज को टीम में चाहते थे क्योंकि वो टीम को अनुभव और संतुलन प्रदान करते थे। “मैं चाहता था कि वो टीम में हों और धोनी भी यही चाहता था। और देखिए, उन्होंने कैसा वर्ल्ड कप खेला,” कर्स्टन ने कहा।

युवराज सिंह ने 2011 वर्ल्ड कप में 362 रन बनाए और 15 विकेट भी लिए, जिससे उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ घोषित किया गया। फाइनल में भारत ने श्रीलंका को छह विकेट से हराकर 28 साल बाद वर्ल्ड कप ट्रॉफी पर कब्जा जमाया।

कर्स्टन ने युवराज के साथ अपने संबंधों को भी याद किया और कहा, “मैं हमेशा युवराज को पसंद करता था। कभी-कभी वो मुझे बहुत परेशान कर देता था, लेकिन मुझे उससे प्यार था। जब वो बल्लेबाज़ी करता था, तो उसे देखना किसी जादू से कम नहीं था। मैं बस चाहता था कि वो रन बनाए।”

कर्स्टन ने यह भी बताया कि उस वक्त टीम के मेंटल कंडीशनिंग कोच पैडी अप्टन ने युवराज के आत्मविश्वास और मानसिक मजबूती को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी। “पैडी ने युवराज के साथ बहुत काम किया ताकि वो वर्ल्ड कप के लिए तैयार हो सके। युवराज ने भी खुद को पूरी तरह झोंक दिया और कई अहम फैसले लिए ताकि वो वर्ल्ड कप में अपने बेस्ट पर रह सके,” कर्स्टन ने कहा।

इस खुलासे से साफ है कि 2011 की वर्ल्ड कप जीत के पीछे सिर्फ प्रदर्शन नहीं, बल्कि कई कड़े फैसले, रणनीतिक सोच और खिलाड़ियों पर विश्वास की एक लंबी यात्रा थी — और उस सफर में युवराज सिंह की कहानी सबसे चमकदार रही।

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