मुंबई में गौतम अडानी का संबोधन: “भारत की तरक़्क़ी के लिए उसकी रीढ़ को मज़बूत करना ज़रूरी”
चिरौरी न्यूज
मुंबई: देश के प्रमुख उद्योगपति और अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने शुक्रवार को मुंबई के प्रतिष्ठित ताज महल पैलेस होटल में आयोजित SMISS AP कॉन्फ्रेंस में रीढ़ रोग विशेषज्ञों को संबोधित किया। भारत के अग्रणी डॉक्टरों को संबोधित करते हुए उन्होंने अपने निजी अनुभव, उद्यमिता के सफर और देश के भविष्य को लेकर अपनी दृष्टि साझा की।
गौतम अडानी ने अपने संबोधन की शुरुआत डॉक्टरों के काम की सराहना से की और कहा कि वे केवल सर्जन नहीं हैं, बल्कि उम्मीद का प्रतीक हैं। उन्होंने फिल्म मुन्नाभाई MBBS का ज़िक्र करते हुए कहा कि “हीलिंग सिर्फ सर्जरी से नहीं होती, इंसानियत से होती है।” उन्होंने कहा, “जैसा कि मुन्नाभाई ने कहा था — जादू की झप्पी हो या सर्जरी का स्केल्पेल, दोनों में एक ही बात होती है — इंसानियत।”
अडानी ने बताया कि जब उन्हें इस मंच पर बोलने का निमंत्रण मिला, तो उन्होंने सोचा कि एक कारोबारी डॉक्टरों को क्या कह सकता है। लेकिन फिर उन्हें एहसास हुआ कि जिस तरह डॉक्टर रीढ़ की हड्डी को मज़बूत बनाते हैं, वैसे ही लीडरशिप संगठनों की रीढ़ बनती है। उन्होंने कहा कि आत्म-विश्वास ही असली रीढ़ है, और इसी आत्म-विश्वास के साथ उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में बिना डिग्री, बिना नौकरी मुंबई आने का फ़ैसला लिया था।
मुंबई में उन्होंने हीरों की पॉलिशिंग सीखी और पहला व्यापारिक सौदा एक जापानी ग्राहक से किया, जिसमें उन्हें ₹10,000 का कमीशन मिला। उन्होंने कहा कि यह रकम नहीं, बल्कि यह अहसास मायने रखता था कि विश्वास शक से बड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा, “उद्यमिता किसी बड़े विज़न से नहीं, एक छोटे से यक़ीन से शुरू होती है — और उस अकेले सपने को लेकर चलने की हिम्मत से।”
1981 में अडानी अहमदाबाद लौट आए और PVC फिल्म की फैक्ट्री संभाली। यहीं से उन्हें जमीनी स्तर पर काम करने का अनुभव मिला। उन्होंने बताया कि कैसे 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इम्पोर्ट लाइसेंस को आसान किया और इस छोटी-सी आर्थिक सुधार ने उन्हें ट्रेडिंग हाउस की नींव रखने का मौका दिया। फिर 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था के ऐतिहासिक उदारीकरण ने उन्हें नए सिरे से उड़ान भरने का अवसर दिया।
अडानी ने बताया कि कैसे 1993 तक उनका व्यापार भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग हाउस बन चुका था। लेकिन उन्होंने तय किया कि अब सिर्फ व्यापार नहीं, निर्माण करना है। इसी सोच के साथ 1995 में उन्होंने मुंद्रा में बंदरगाह बनाने का सपना देखा। अमेरिकी साझेदार के पीछे हटने के बाद उन्होंने खुद अपने दम पर इसे खड़ा किया। लोगों ने इसे पागलपन कहा, लेकिन 1998 में भारत का पहला निजी पोर्ट ऑपरेशनल हो गया।
आज मुंद्रा पोर्ट सिर्फ एक बंदरगाह नहीं, बल्कि भारत का सबसे बड़ा मल्टी-कार्गो पोर्ट है। वहां विश्व का सबसे बड़ा निजी थर्मल पावर प्लांट, HVDC ट्रांसमिशन लाइन, भारत का सबसे बड़ा सोलर और विंड मैन्युफैक्चरिंग हब और पेट्रोकेमिकल व अन्य उद्योगों का विशाल क्लस्टर भी है।
उन्होंने बताया कि मुंद्रा ने उन्हें वह विश्वास दिया कि अगर सपनों को ज़मीन पर उतारा जा सकता है, तो कोई भी सीमा नहीं है। यहीं से अडानी समूह का विस्तार पूरे देश में हुआ। आज अडानी समूह:
- दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सोलर पावर कंपनी है,
- भारत की सबसे बड़ी निजी एयरपोर्ट ऑपरेटर है जो 25% हवाई यात्री और 38% एयर कार्गो संभालती है,
- भारत की सबसे बड़ी पोर्ट और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क चलाती है,
- और ऊर्जा, सीमेंट, डिफेंस, डेटा सेंटर व रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में अग्रणी है।
गौतम अडानी ने यह भी घोषणा की कि अडानी समूह अगले पांच वर्षों में करीब $100 अरब (₹8.3 लाख करोड़) का निवेश करेगा। यह निवेश भारत के बुनियादी ढांचे की रीढ़ को मज़बूत करने में किया जाएगा — ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक ढांचे को सशक्त करने के लिए।
अपने भाषण के अगले हिस्से में उन्होंने एक चिंताजनक आंकड़ा साझा किया। उन्होंने बताया कि भारत में लोअर बैक पेन (कमर दर्द) आज विकलांगता का सबसे बड़ा कारण बन चुका है, जो डायबिटीज़ और हार्ट डिजीज को भी पीछे छोड़ चुका है। उन्होंने कहा कि भारत एक “स्पाइनल एपिडेमिक” झेल रहा है, और यह सिर्फ स्वास्थ्य नहीं, बल्कि उत्पादकता, अर्थव्यवस्था और भविष्य पर असर डालने वाली समस्या है।
उन्होंने डॉक्टरों से अपील की कि वे सिर्फ इलाज तक सीमित न रहें, बल्कि उद्यमिता के ज़रिए इस संकट से लड़ें। उन्होंने सुझाव दिए कि कोई डॉक्टर:
- AI-आधारित स्पाइनल डायग्नोस्टिक प्लेटफॉर्म बनाए,
- गांवों के लिए मोबाइल सर्जरी यूनिट्स शुरू करे,
- या रोबोटिक्स और रीजेनरेटिव मेडिसिन पर आधारित आधुनिक अस्पताल बनाए।
अडानी ने आश्वासन दिया कि उनका समूह इन सभी पहलों में सहयोग और निवेश के लिए तैयार है।
उन्होंने बताया कि तीन साल पहले अपने 60वें जन्मदिन पर उन्होंने और उनके परिवार ने ₹60,000 करोड़ की राशि स्वास्थ्य, शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के लिए समर्पित की थी। उन्होंने कहा, “हम हेल्थकेयर में इसलिए नहीं आए क्योंकि इसमें गति नहीं थी, बल्कि इसलिए क्योंकि वह गति पर्याप्त नहीं थी।”
उन्होंने कहा कि भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को छोटे सुधार नहीं, बल्कि एक पूरी री-डिज़ाइन की आवश्यकता है, जो इंटेलिजेंस और एम्पैथी दोनों पर आधारित हो। इस सोच के तहत वे ऐसे स्वास्थ्य संस्थान बना रहे हैं जो क्लीनिकल केयर, अकादमिक ट्रेनिंग और रिसर्च को एकीकृत करेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि “Adani Healthcare Temples” — 1000-बेड के AI-फर्स्ट, वर्ल्ड-क्लास मेडिकल कैंपस — अहमदाबाद और मुंबई से शुरू किए जाएंगे, जिसमें Mayo Clinic उनकी मार्गदर्शक संस्था होगी।
अपने भाषण का समापन करते हुए उन्होंने कहा, “अगर आप कोई मेड-टेक ब्रेकथ्रू का सपना देख रहे हैं — तो आगे बढ़िए। अगर आप भारत की सेवा करना चाहते हैं — तो आगे बढ़िए। हम आपके साथी, आपके निवेशक और आपके सबसे बड़े समर्थक बनकर खड़े हैं।”
गौतम अडानी ने अंत में कहा, “भारत तब तक नहीं उठ सकता, जब तक उसके लोग खड़े न हो सकें। और भारत के लोग तब तक खड़े नहीं हो सकते, जब तक उनकी रीढ़ मज़बूत न हो।”