भारत की संरचनात्मक ताकत को अब नजरअंदाज नहीं कर सकता वैश्विक पूंजी बाजार: रिपोर्ट
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: धन प्रबंधन कंपनी Equirus द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की मजबूत संरचनात्मक आर्थिक स्थिति और विकास की बहु-आयामी संभावनाओं को अब वैश्विक पूंजी बाजार नजरअंदाज नहीं कर सकते। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत आने वाले वर्षों में G7 देशों की तुलना में कहीं तेज़ी से वृद्धि दर्ज करेगा।
Equirus Credence Family Office के सीईओ मितेश शाह ने कहा, “भारत अब केवल कागज़ों पर नहीं, बल्कि संरचनात्मक रूप से G7 देशों से बेहतर स्थिति में है। यह एक बड़ा बदलाव है।” उन्होंने आगे कहा कि पारंपरिक 60/40 पोर्टफोलियो रणनीति (60% इक्विटी, 40% बॉन्ड) अब विश्वसनीय नहीं रही, और वैश्विक निवेश परिदृश्य में रणनीतिक परिसंपत्ति आवंटन अनिवार्य हो गया है।
भारत की आर्थिक मजबूती के प्रमुख आधार:
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मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल्स
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नीतिगत समर्थन से बढ़ता पूंजीगत व्यय (Capex)
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ग्रामीण उपभोग में तेजी
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वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव, विशेष रूप से ‘चाइना +1’ नीति के तहत
रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण भारत में FMCG (तेजी से चलने वाले उपभोक्ता उत्पाद) की मांग शहरी क्षेत्रों की तुलना में कहीं तेज़ है — ग्रामीण में 6% वृद्धि, जबकि शहरी में केवल 2.8%। इसके अलावा, ग्रामीण और शहरी उपभोक्ताओं के मासिक खर्च में अंतर भी 84% से घटकर 70% रह गया है।
Capex और तरलता का योगदान
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नीतिगत Capex में 17.4% की वृद्धि अनुमानित
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₹2.5 लाख करोड़ की तरलता बाजार में डाली जा रही है, जो अर्थव्यवस्था में तेजी लाएगी
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत का स्थान
रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2025-2030 के बीच वैश्विक GDP वृद्धि में 15% से अधिक योगदान देगा, जो जापान (<1%) और जर्मनी (1.3%) से कहीं आगे है। डॉलर इंडेक्स में 6% की गिरावट और स्थिर क्रूड कीमतों ($70/बैरल) ने भारत के आयात व्यय को कम करने में मदद की है।
भारत बन रहा निवेशकों का पसंदीदा गंतव्य
रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा चीन से बाहर निकलने की रणनीति (‘चाइना +1’) के तहत Apple जैसी कंपनियों का भारत की ओर झुकाव भारत को दीर्घकाल