नई दिल्ली में NDA सीएम का महा-सम्मेलन, ऑपरेशन सिंदूर और सुशासन पर नीति आयोग की बैठक में पास हुए प्रस्ताव
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के अशोक होटल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों का एक दिवसीय महासम्मेलन शुरू हो गया है। इस अहम बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री मौजूद हैं। यह बैठक NITI आयोग के तत्वावधान में हो रही है, जिसमें सुशासन, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अहम विषयों पर चर्चा की जा रही है।
बैठक में लगभग 20 मुख्यमंत्री और 18 उपमुख्यमंत्री NDA शासित राज्यों से शामिल हुए हैं। इनमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो प्रमुख हैं।
बैठक के दौरान महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जोरदार सराहना करते हुए कहा,
“NDA ने साबित कर दिया है कि ‘जो हमसे टकराएगा, वो चूर-चूर हो जाएगा’ सिर्फ एक नारा नहीं, हकीकत है। यह ऑपरेशन देश के हर आम नागरिक में आत्मविश्वास और गर्व की भावना भर गया है।”
शिंदे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा, “पीएम मोदी के शरीर में खून नहीं, गरम सिंदूर दौड़ रहा है – इस बात पर आज 140 करोड़ भारतीयों को गर्व है। यह देश का सौभाग्य है कि हमारे पास एक साहसी, निडर और राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री हैं।”
NDA सुशासन विभाग के प्रमुख और बीजेपी नेता विनय सहस्रबुद्धे ने बताया कि सम्मेलन में दो बड़े प्रस्ताव पारित किए गए हैं –
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सेना और प्रधानमंत्री को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर बधाई।
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जनगणना में जातिगत आंकड़े शामिल करने के केंद्र सरकार के निर्णय की सराहना।
सहस्रबुद्धे ने कहा, “सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा NDA शासित राज्यों की ‘बेस्ट प्रैक्टिसेज़’ साझा करने को समर्पित रहा, जहां मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्य में सुशासन के मॉडल प्रस्तुत किए।”
बैठक में मोदी सरकार 3.0 की पहली वर्षगांठ, 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ जैसे आगामी राष्ट्रीय अवसरों की तैयारियों पर भी चर्चा हुई।
NDA का यह शक्ति प्रदर्शन न केवल संगठनात्मक एकता का संकेत है, बल्कि यह केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर तालमेल के साथ सुशासन, सुरक्षा और समावेशी विकास की दिशा में एक ठोस कदम भी माना जा रहा है।