नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में सोनिया-राहुल पर सुनवाई पूरी, कोर्ट 29 जुलाई को सुनाएगा फैसला

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर अभियोजन शिकायत पर संज्ञान लेने के मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह हाई-प्रोफाइल मामला कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस ओवरसीज प्रमुख सैम पित्रोदा, सुमन दुबे समेत अन्य के खिलाफ है, जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत आरोप लगे हैं।
राउस एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) विशाल गोगने ने ईडी और आरोपितों की दलीलें सुनने के बाद 29 जुलाई को आदेश सुनाने के लिए मामला सूचीबद्ध किया। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने अदालत को बताया कि सोनिया और राहुल गांधी की बहुलांश हिस्सेदारी वाली यंग इंडियन लिमिटेड का गठन नेशनल हेराल्ड की लगभग 2,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों को मात्र 50 लाख रुपये में हड़पने के लिए किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि यंग इंडियन केवल नाम मात्र की कंपनी है और बाकी सभी आरोपी गांधी परिवार की कठपुतली हैं।
ईडी ने दावा किया कि कांग्रेस नेतृत्व को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नेशनल हेराल्ड अखबार की संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए यंग इंडियन का गठन कर साजिश रची गई। साथ ही आरोप लगाया कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के साथ फर्जी लेनदेन किए और वर्षों तक झूठे किराये की रसीदों के माध्यम से एडवांस किराया दिखाया गया।
प्रवर्तन निदेशालय की शिकायत में कहा गया कि कांग्रेस नेतृत्व ने एक दुर्भावनापूर्ण तरीके से AJL की संपत्तियों का निजीकरण कर सार्वजनिक ट्रस्ट की संपत्तियों को व्यक्तिगत लाभ में बदला।
वहीं, सोनिया गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोपों को “अजीब” और “अभूतपूर्व” बताया, उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई ठोस संपत्ति शामिल नहीं है। राहुल गांधी ने भी कहा कि अखबार को पुनर्जीवित करने की एआईसीसी की कोशिशों को गलत तरीके से संपत्ति बेचने के प्रयास के रूप में दिखाया जा रहा है। राहुल के वकील आर.एस. चीमा ने कहा कि नेशनल हेराल्ड कभी भी व्यावसायिक संस्था नहीं रही, और अखबार को फिर से शुरू करने के लिए एआईसीसी ने पहल की थी।
गौरतलब है कि यह मामला सबसे पहले 2012 में तब सामने आया था जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्रायल कोर्ट में शिकायत दर्ज कर कांग्रेस नेताओं पर धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप लगाया था।