पंजाब-हरियाणा जल विवाद पर हाईकोर्ट सख्त, राज्यों के बीच दुश्मनों जैसा व्यवहार न करें
चिरौरी न्यूज
चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे जल विवाद को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को कड़ी आपत्ति जताई। मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा, “हम यह दुश्मन देश (पाकिस्तान) के साथ करते हैं, अपने राज्यों के बीच ऐसा न करें।”
यह मामला भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) की उस याचिका पर सुनवाई से जुड़ा था, जिसमें बोर्ड ने पंजाब सरकार द्वारा नंगल डैम पर कथित कब्जे और हरियाणा को पानी की आपूर्ति में बाधा डालने को लेकर हस्तक्षेप की मांग की है।
BBMB की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश गर्ग ने अदालत को बताया कि पंजाब सरकार ने डैम पर पुलिस तैनात कर दी है जिससे निचले राज्यों को पानी की आपूर्ति बाधित हो सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि “नीचे के राज्य सूख जाएंगे।”
वहीं, पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने तर्क दिया कि कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है और BBMB यह तय नहीं कर सकता कि राज्य पुलिस क्या करे। उन्होंने कहा, “BBMB अवैध प्रस्तावों को लागू करना चाहता है। सीमा पर तनाव के समय ऐसे मुद्दों पर संवेदनशीलता होनी चाहिए।”
BBMB ने याचिका में आरोप लगाया कि पंजाब सरकार ने नंगल डैम और जल नियंत्रण कार्यालयों पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है, जिससे हरियाणा को पानी की आपूर्ति बाधित हो रही है। बोर्ड ने मांग की है कि पंजाब सरकार तत्काल अपनी पुलिस हटाए ताकि बोर्ड स्वतंत्र रूप से अपने कार्य कर सके।
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने कहा कि BBMB से जल आपूर्ति केवल हरियाणा नहीं बल्कि राजस्थान और दिल्ली को भी होती है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि वह पंजाब सरकार को पुलिस हटाने का निर्देश दे ताकि BBMB जल प्रवाह सुचारू रूप से कर सके।
हरियाणा के एडवोकेट जनरल परमिंदर सिंह ने भी पंजाब पर आरोप लगाया कि वह जल वितरण में बाधा डाल रहा है। उन्होंने कहा, “8,500 क्यूसेक पानी केवल हरियाणा के लिए नहीं, बल्कि दिल्ली (1,049 क्यूसेक) और राजस्थान (850 क्यूसेक) के लिए भी है।”
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्पष्ट किया कि राज्यों को ऐसे विवाद संवैधानिक और वैधानिक ढंग से सुलझाने चाहिए, न कि शक्ति प्रदर्शन के माध्यम से।