‘हिंदू ग्रोथ रेट’ सनातन आस्था को बदनाम करने का एक तरीका था: पीएम मोदी

'Hindu growth rate' was a way to defame Sanatan faith: PM Modiचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट के 23वें संस्करण में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति को कभी “हिंदू ग्रोथ रेट” कहकर बदनाम करने की कोशिश की गई थी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह शब्द न सिर्फ़ गलत था, बल्कि हिंदू जीवनशैली को नीचा दिखाने का प्रयास भी था।

प्रधानमंत्री ने वैश्विक परिस्थितियों पर बात करते हुए कहा कि आज जब दुनिया अस्थिरता और चुनौतियों से घिरी है, भारत एक “स्टेबल ब्रिज-बिल्डर” के रूप में उभर रहा है।

उन्होंने कहा, “21वीं सदी का पहला चौथाई बीत रहा है। वित्तीय संकट हों या महामारी—दुनिया ने बड़े उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन इन सबके बीच भारत आत्मविश्वास और स्थिरता की अलग लीग में खड़ा है।”

PM मोदी ने यह भी कहा, “जब दुनिया मंदी की बात करती है, भारत विकास की नई कहानियां लिखता है। जब ग्लोबल ट्रस्ट क्राइसिस की चर्चा होती है, भारत भरोसे का स्तंभ बनकर सामने आता है।”

पिछली सरकार पर तंज

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पूर्व सरकारों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पहले व्यवस्था को अपने ही नागरिकों पर विश्वास नहीं रहता था।

उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने इस मानसिकता को बदला है—अब कई सरकारी प्रक्रियाओं के लिए सेल्फ-अटेस्टेशन ही पर्याप्त होगा। उन्होंने इसे रेड टेप कम करने और नागरिकों को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया।

मोदी ने कहा कि सरकार का सबसे बड़ा आधार लोगों का भरोसा है। “हमें देश को हर उस कोने से आज़ाद करना है जहां औपनिवेशिक सोच अब भी मौजूद है। आने वाले 10 सालों के लिए मैंने एक साफ़ विज़न तय किया है।”

लोन और वित्तीय सशक्तिकरण

प्रधानमंत्री ने बताया कि गारंटी-फ्री लोन ने छोटे वेंडरों, हॉकर्स और कमजोर तबकों की ज़िंदगी बदल दी है। अब तक 37 लाख करोड़ रुपये बिना गारंटी के दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा, “यह ऐसी सरकार है जो अपने नागरिकों पर भरोसा करती है। 1,000 रुपये मांगने वाला भी आज सम्मान के साथ लोन ले सकता है।”

उन्होंने कहा कि सरकार ने विशेष जिला-स्तरीय कैंप लगाकर इनमें से हजारों करोड़ रुपये लोगों को वापस दिलाए हैं। “यह मोदी है जो लोगों की मेहनत की कमाई ढूंढ-ढूंढकर वापस दिला रहा है।”

कॉलोनियल सोच खत्म करने का संकल्प

अपने संबोधन के अंतिम हिस्से में प्रधानमंत्री ने नागरिकों से अपील की कि 2035 तक मैकाले की गुलामी वाली सोच को पूरी तरह खत्म कर देना चाहिए।

उन्होंने हाथ जोड़ते हुए कहा, “मैं यह अकेले नहीं कर सकता। पूरे देश को साथ आना होगा। हमें किसी और की नकल नहीं करनी—अपनी लाइन खुद बड़ी करनी है। चुनौतियों के बावजूद आगे बढ़ना ही हमारा रास्ता है।”

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