एसजीटी यूनिवर्सिटी में फूलों की होली; मनाया गया प्रेम, संस्कृति और सतत विकास का उत्सव

Holi of flowers at SGT University; Celebration of love, culture and sustainable developmentचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: एसजीटी यूनिवर्सिटी (श्री गुरु गोबिंद सिंह ट्राइसेंटेनरी यूनिवर्सिटी) ने अपनी विशेष होली परंपरा को आगे बढ़ाते हुए ‘राधा कृष्ण संग फूलों की होली 2025’ का भव्य आयोजन किया। इस अनोखे उत्सव में रंगों की जगह ताजे फूलों की पंखुड़ियों से होली खेली गई, जिससे न सिर्फ त्यौहार का उल्लास बढ़ा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया।

संस्कृति और परंपरा का रंगारंग संगम

हर साल की तरह इस बार भी एसजीटी यूनिवर्सिटी का कैंपस होली के उल्लास से सराबोर रहा। छात्रों ने अपनी शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से माहौल को और भी जीवंत बना दिया। कहीं सुरों की मधुर गूँज थी, तो कहीं जोश से भरे नृत्य। क्लासिकल, फोक और मॉडर्न परफॉर्मेंस के जरिए होली की खुशियों को अलग-अलग सांस्कृतिक रंगों में सजाया गया। इसके अलावा, रोचक नाटकों और भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया और त्यौहार के महत्व को भी उजागर किया।

अनंत प्रेम को नमन

इस खास आयोजन का सबसे सुंदर पल था राधा-कृष्ण के अमर प्रेम को समर्पित एक अद्भुत प्रस्तुति। जब दो छात्र दिव्य युगल के रूप में मंच पर आए, तो पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा। इस भावपूर्ण प्रस्तुति के बाद सबसे रोमांचक क्षण था असली फूलों की होली। रंग-बिरंगे फूलों की वर्षा ने प्रेम, भक्ति और सौहार्द्र का अनोखा दृश्य रच दिया। पूरा कैंपस सुगंध और खुशियों से सराबोर हो गया।

एसजीटी यूनिवर्सिटी के कुलपति (कार्यवाहक) डॉ. मदन मोहन चतुर्वेदी ने इस आयोजन पर कहा, “एसजीटी यूनिवर्सिटी में ‘फूलों की होली’ सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारी मूल विचारधारा का प्रतीक भी है। हम अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करते हुए एक सतत भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। प्रकृति और पर्यावरण के अनुकूल परंपराओं को अपनाकर, हम यह उदाहरण देना चाहते हैं कि परंपरा और जिम्मेदारी साथ-साथ चल सकते हैं।”

एसजीटी यूनिवर्सिटी को इस अनूठे आयोजन पर गर्व है, जो न सिर्फ खुशी और एकता को बढ़ावा देता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है। यहाँ से निकलने वाले छात्र अपने साथ यह सीख लेकर जाते हैं कि परंपराओं का उत्सव प्रेम और प्रकृति की देखभाल के साथ भी मनाया जा सकता है।

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