IMF ने UPI की सराहना की, दुनिया में सबसे तेज़ डिजिटल भुगतान करने वाला देश बना भारत
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के व्यापक उपयोग और तेज़ी से बढ़ते डिजिटलीकरण की बदौलत भारत अब दुनिया का सबसे तेज़ डिजिटल भुगतान करने वाला देश बन गया है। यह बात अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट का शीर्षक है: ‘Growing Retail Digital Payments: The Value of Interoperability’।
IMF ने कहा है कि 2016 में लॉन्च होने के बाद से UPI ने न सिर्फ डिजिटल भुगतान को नया रूप दिया, बल्कि कैश उपयोग में भी गिरावट दर्ज की गई है। वर्तमान में, UPI हर महीने 18 अरब से अधिक लेन-देन को प्रोसेस करता है और यह भारत में इलेक्ट्रॉनिक रिटेल भुगतान का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है।
UPI की सफलता के पीछे की कहानी
IMF की रिपोर्ट में ‘इंटरऑपरेबिलिटी’ यानी विभिन्न ऐप्स के बीच भुगतान की सुविधा को इस परिवर्तन का सबसे अहम कारक बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया:
“इंटरऑपरेबिलिटी से यूज़र्स को अपनी पसंद का ऐप चुनने की आज़ादी मिलती है। इससे ऐप डेवलपर्स के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, और ऐप की गुणवत्ता में सुधार होता है।”
इससे यूज़र्स के लिए डिजिटल भुगतान को अपनाना और भी आकर्षक और सुविधाजनक बन जाता है, जो समग्र रूप से डिजिटल भुगतान के विस्तार में मदद करता है।
BHIM ऐप की भूमिका और सरकारी समर्थन
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2016 के अंत में जब UPI का उपयोग सीमित था, तब सरकार द्वारा लॉन्च किया गया BHIM ऐप एक प्रमुख उत्प्रेरक साबित हुआ।
शुरुआती दिनों में BHIM ने UPI लेन-देन का आधे से अधिक हिस्सा संभाला था, इससे साबित होता है कि सरकारी पहल कैसे डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम को गति दे सकती है।
IMF ने कहा कि सरकारी क्षेत्र ऐसे मामलों में कोऑर्डिनेशन फेल्योर (जैसे कि कम उपयोगकर्ता और कम गुणवत्ता वाले ऐप्स) को दूर करने में मदद करता है और एक सशक्त डिजिटल भुगतान तंत्र तैयार करता है।
जून 2025 के आंकड़े
- UPI ट्रांजैक्शन में 32% की सालाना वृद्धि दर्ज की गई।
- ट्रांजैक्शन वैल्यू में 20% की बढ़ोतरी हुई।
- रोज़ाना UPI लेन-देन की संख्या मई में 602 मिलियन से बढ़कर जून में 613 मिलियन हो गई।
IMF की यह रिपोर्ट इस बात का प्रमाण है कि भारत की डिजिटल पेमेंट क्रांति वैश्विक स्तर पर एक रोल मॉडल बन चुकी है। UPI और इसकी इंटरऑपरेबिलिटी ने न केवल देश के लोगों को कैशलेस बनाने की दिशा में प्रेरित किया है, बल्कि यह दर्शाया है कि कैसे सार्वजनिक और निजी भागीदारी मिलकर किसी भी टेक्नोलॉजी को व्यापक रूप दे सकती है।