सुरक्षा परिषद सुधार पर दो दशक से चली आ रही निष्फल वार्ताओं को भारत ने बताया “थियेटर ऑफ अब्सर्ड”

India calls two decades of fruitless negotiations on Security Council reform a "theater of absurdity"चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर लगभग दो दशक से जारी निष्फल प्रयासों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए भारत ने इसे “थियेटर ऑफ द एब्सर्ड” करार दिया है और प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक ठोस, टेक्स्ट-बेस्ड दृष्टिकोण अपनाने की मांग की है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने मंगलवार को महासभा की बैठक में कहा कि “IGN प्रारूप की शुरुआत को 17 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन अब यह एक ‘थियेटर ऑफ द एब्सर्ड’ में बदल चुका है।”

उन्होंने सुरक्षा परिषद सुधार पर चल रही इंटरगवर्नमेंटल नेगोसिएशंस (IGN) की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा कि सदस्य देश “निरर्थक बयानबाज़ी और अंतहीन चर्चाओं के चक्र में फंस गए हैं, जिनसे कोई परिणाम नहीं निकलता।”

पारदर्शी समय-सीमा के साथ वार्ता पर जोर 

पटेल ने कहा कि सुधार प्रक्रिया में विश्वसनीयता लाने के लिए भारत बार-बार यह मांग कर रहा है कि टेक्स्ट-बेस्ड नेगोसिएशंस तत्काल शुरू किए जाएं और इनके लिए “पारदर्शी लक्ष्य और समय-सीमा” तय की जाए। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि सभी सदस्य देश “आत्ममंथन” करें कि इतने वर्षों में सुधार आखिर आगे क्यों नहीं बढ़ सका।

उन्होंने सवाल किया, “क्या हम ईमानदारी से ठोस प्रगति के लिए तैयार हैं या फिर सिसीफस की तरह अनंत काल तक एक ही चक्र में फंसे रहने को अभिशप्त हैं?”

उन्होंने उम्मीद जताई कि नए IGN सह-अध्यक्ष — कुवैत के प्रतिनिधि तारिक अल-बनाई और नीदरलैंड्स की प्रतिनिधि लिसे ग्रेगॉयर-वान हारन — वर्तमान सत्र में चर्चाओं को ठोस नतीजों की ओर ले जा सकेंगे।

पटेल ने बताया कि प्रगति को एक छोटे से समूह यूनाइटेड फॉर कंसेंसस (UfC) द्वारा रोका जा रहा है, जो बातचीत के लिए औपचारिक टेक्स्ट अपनाने की प्रक्रिया को रोकने हेतु लगातार प्रक्रियागत हथकंडे अपनाता है। इस समूह का नेतृत्व इटली करता है और इसमें पाकिस्तान भी शामिल है। इसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षा परिषद में नए स्थायी सदस्यों का विरोध करना है।

उन्होंने कहा, “जब सहमति (consensus) को वीटो के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, तो यह समावेश के बजाय बाधा बन जाती है।” पटेल ने कहा कि सुरक्षा परिषद की संरचना में मौजूद ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाना आवश्यक है, विशेष रूप से अफ्रीकी देशों को उपयुक्त प्रतिनिधित्व देने के लिए। उन्होंने केवल गैर-स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने के प्रस्तावों को अपर्याप्त बताया।

पटेल ने इस बात पर आपत्ति जताई कि OIC (ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन) जैसी धार्मिक पहचान पर आधारित समूहों को सुरक्षा परिषद में सीट दी जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा, “विश्वास (धर्म) सुरक्षा परिषद में अधिकार का निर्धारक मापदंड नहीं हो सकता।”

भारत, ब्राज़ील, जर्मनी और जापान मिलकर G4 समूह बनाते हैं, जो परिषद में नए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने और एक-दूसरे के दावों का समर्थन करने की वकालत करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *