भारत ने पाकिस्तानी हिरासत में बंद भारतीय मछुआरों और नागरिक कैदियों की जल्द रिहाई की मांग की
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारत ने मंगलवार को पाकिस्तान से उसकी हिरासत में मौजूद भारतीय मछुआरों और नागरिक कैदियों की जल्द से जल्द रिहाई और स्वदेश वापसी की मांग की। दोनों देशों के बीच वाणिज्यिक चैनलों के माध्यम से नई दिल्ली और इस्लामाबाद में एक साथ बंदियों की सूची का आदान-प्रदान किया गया।
विदेश मंत्रालय (MEA) की ओर से जारी बयान में कहा गया कि पाकिस्तान से 159 भारतीय मछुआरों और नागरिक कैदियों की त्वरित रिहाई की मांग की गई है, जिन्होंने अपनी सज़ा पूरी कर ली है।
हर साल दो बार होती है सूची का आदान-प्रदान
2008 के द्विपक्षीय कांसुलर एक्सेस समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान हर साल 1 जनवरी और 1 जुलाई को एक-दूसरे की हिरासत में मौजूद नागरिकों और मछुआरों की सूची साझा करते हैं।
इस बार भारत ने पाकिस्तान को बताया है कि उसके पास 382 पाकिस्तानी या संभावित पाकिस्तानी नागरिक कैदी और 81 मछुआरे हिरासत में हैं। वहीं पाकिस्तान ने कहा कि उसकी हिरासत में 53 भारतीय या संभावित भारतीय नागरिक कैदी और 193 मछुआरे हैं।
26 कैदियों को अभी तक नहीं मिला कांसुलर एक्सेस
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि पाकिस्तान में बंद 26 ऐसे भारतीय नागरिक और मछुआरे हैं, जिन्हें अब तक कांसुलर एक्सेस (दूतावास से संपर्क) नहीं मिला है। भारत ने पाकिस्तान से इनके लिए तुरंत कांसुलर एक्सेस उपलब्ध कराने की मांग की है और उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य और भलाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।
80 कैदियों की पहचान अभी भी अधर में
भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को 80 ऐसे संभावित पाकिस्तानी नागरिक कैदियों और मछुआरों की राष्ट्रीयता की पुष्टि करनी चाहिए, जिनकी रिहाई सिर्फ इस प्रक्रिया के पूरे न होने के कारण रुकी हुई है।
2014 से अब तक 2,661 मछुआरे लौटे भारत
सरकार ने बताया कि 2014 से अब तक 2,661 भारतीय मछुआरे और 71 नागरिक कैदी पाकिस्तान से रिहा कर भारत लाए जा चुके हैं। साल 2023 से अब तक ही 500 मछुआरे और 13 नागरिक कैदी पाकिस्तान से स्वदेश लौटे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा है कि वह विदेशों में बंद भारतीयों की सुरक्षा, भलाई और सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। जैसे ही किसी भारतीय के पाकिस्तान में हिरासत में लिए जाने की जानकारी मिलती है, भारतीय दूतावास तुरंत कांसुलर एक्सेस की मांग करता है।
इस दौरान भारतीय उच्चायोग के अधिकारी जेलों में जाकर बंदियों की स्थिति का जायजा लेते हैं और उन्हें आवश्यक वस्तुएं व कानूनी सहायता मुहैया कराई जाती है।