भारत-रूस व्यापार में नए आयामों की तलाश, 2030 तक 100 अरब डॉलर के लक्ष्य पर नज़र

India-Russia trade seeks new dimensions, eyes $100 billion target by 2030चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की उच्चस्तरीय भारत यात्रा के बीच भारत और रूस के बीच बढ़ते आर्थिक सहयोग को नए आयाम देने पर चर्चा तेज हो गई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक कार्यक्रम में कहा कि दोनों देशों के बीच उपभोक्ता वस्तुओं, खाद्य एवं कृषि, दवा और चिकित्सीय उपकरण, दूरसंचार व इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक कंपोनेंट्स तथा कुशल पेशेवरों के आदान–प्रदान जैसे क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाएँ मौजूद हैं।

गोयल ने बताया कि भारत-रूस व्यापार लगभग 70 अरब डॉलर तक पहुँच चुका है, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, लेकिन अभी भी बड़ा अवसर अप्रयुक्त है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों का साझा लक्ष्य 2030 तक व्यापार को 100 अरब डॉलर से अधिक तक ले जाना है, जिसमें भारतीय निर्यात की भूमिका निर्णायक होगी। मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि व्यापार संरचना को अधिक संतुलित बनाने की आवश्यकता है ताकि दोनों पक्षों को समान लाभ मिल सके।

उन्होंने कहा कि रूस में औद्योगिक तथा उपभोक्ता वस्तुओं की बड़ी मांग है, जिससे भारतीय उद्योगों के लिए नए अवसर खुल रहे हैं। ऑटोमोबाइल, ट्रैक्टर, भारी वाणिज्यिक वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्टफोन, डाटा प्रोसेसिंग उपकरण, भारी मशीनरी, औद्योगिक कंपोनेंट्स, वस्त्र एवं खाद्य उत्पाद जैसे क्षेत्रों में भारत के लिए विशेष संभावनाएँ हैं।

गोयल ने भारत के मज़बूत स्टार्टअप और उद्यमशीलता इकोसिस्टम की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप ईकोसिस्टम है और देश का युवा, कुशल एवं समर्पित कार्यबल रूस की अनुमानित तीन मिलियन कुशल पेशेवरों की कमी को पूरा कर सकता है। भारत हर वर्ष 2.4 मिलियन से अधिक STEM स्नातक तैयार करता है, जिनकी डिजाइन, एनालिटिक्स और रिसर्च क्षमताएँ रूस की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकती हैं।

फिक्की के अध्यक्ष आनंद गोयनका ने कहा कि भारत-रूस साझेदारी का भविष्य डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उभरती तकनीकों, हरित ऊर्जा, मोबिलिटी, एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग, वित्तीय नवाचार और स्टार्टअप जैसे उच्च वृद्धि और उच्च नवाचार वाले क्षेत्रों में निहित है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक स्थिरता और व्यापक सुधारों के बल पर भारत 2047 तक 4 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 30–35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है, जो दोनों देशों के लिए साझेदारी के नए अवसर खोलता है।

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