भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86 के स्तर को पार कर गया, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। रुपये में 0.4% की गिरावट आई, जो एशियाई मुद्राओं में व्यापक कमजोरी के साथ मेल खाती है।
यह तेज गिरावट अमेरिका के मजबूत रोजगार रिपोर्ट के बाद आई, जिसने डॉलर को और मजबूत किया और उभरते बाजारों की मुद्राओं, विशेष रूप से रुपये को दबाव में डाल दिया।
मजबूत अमेरिकी डेटा और फेडरल रिजर्व द्वारा दर में कटौती की उम्मीदों में कमी
अमेरिका के नॉन-फार्म पेरोल्स डेटा के अनुसार, पिछले महीने 2,56,000 नौकरियां जोड़ी गईं, जो 1,60,000 की उम्मीद से काफी अधिक थी। इसके अतिरिक्त, अमेरिका के सेवा और निर्माण क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की मजबूती को रेखांकित किया।
इस ताजे डेटा ने फेडरल रिजर्व द्वारा तत्काल दर कटौती की उम्मीदों को समाप्त कर दिया, जिससे डॉलर को मजबूती मिली और रुपये की स्थिति और भी कमजोर हो गई।
विदेशी संस्थागत निवेशकों का निरंतर निकासी
रुपये की गिरावट का एक अन्य कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निरंतर बिकवाली है। इस महीने अकेले विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों से 4 अरब डॉलर से अधिक निकाले हैं, जबकि पिछले तिमाही में 11 अरब डॉलर की निकासी हुई थी।
अमेरिकी मौद्रिक नीति और अमेरिकी राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप की योजनाओं को लेकर अनिश्चितता ने रुपये पर दबाव बढ़ा दिया है।
क्या रुपये की गिरावट जारी रहेगी?
रुपये की गिरावट पिछले तीन महीनों से लगातार जारी है और इसके साथ ही उतार-चढ़ाव भी बढ़ गया है। जेफ्रीज के ग्लोबल हेड ऑफ फॉरेन एक्सचेंज, ब्रैड बेक्टल ने रॉयटर्स से कहा कि रुपये की निरंतर depreciation इसकी वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (REER) से मेल खाती है।
बेक्टल का मानना है कि रुपये की कमजोरी निकट-आवधि में 88 तक पहुंच सकती है, जबकि ANZ बैंक मार्च तक रुपये के 88 के स्तर पर पहुंचने का अनुमान जताता है।