अंतरिम भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की उम्मीदों के बीच भारतीय शेयर बाजार सपाट खुले, सेंसेक्स 50 अंक फिसला

Indian stock markets opened flat amid hopes of interim India-US trade deal, Sensex slipped 50 points
(File Pic: Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: वैश्विक बाजारों से मिले-जुले संकेतों के बीच सोमवार को भारतीय शेयर बाजार लगभग सपाट खुले। निवेशकों की निगाहें भारत और अमेरिका के बीच संभावित अंतरिम व्यापार समझौते पर टिकी हुई हैं।

सुबह 9:20 बजे सेंसेक्स 50 अंक या 0.05% की गिरावट के साथ 81,714 पर और निफ्टी 17 अंक या 0.07% की गिरावट के साथ 24,951 पर कारोबार कर रहा था।

मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी हल्की बिकवाली देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 87 अंक या 0.15% गिरकर 59,017 पर और स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 65 अंक या 0.36% टूटकर 18,892 पर आ गया।

विश्लेषकों के अनुसार, आने वाले दिनों में बाजार की दिशा काफी हद तक भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के परिणाम पर निर्भर करेगी। जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी.के. विजयकुमार ने कहा, “अगर दोनों देशों के बीच 20% से कम टैरिफ के साथ कोई अंतरिम समझौता होता है, तो यह बाजार के लिए सकारात्मक संकेत होगा।”

ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फार्मा, एफएमसीजी, मीडिया, एनर्जी, इंफ्रा, कंजम्पशन और पीएसई सेक्टरों में गिरावट दर्ज की गई। वहीं, फाइनेंशियल सर्विसेज, मेटल और रियल्टी सेक्टर हरे निशान में कारोबार कर रहे थे।

लॉसर्स में एक्सिस बैंक, रिलायंस, इंफोसिस, एचसीएल टेक, टेक महिंद्रा, टीसीएस, सन फार्मा, टाइटन, एमएंडएम, एचयूएल, एशियन पेंट्स, एनटीपीसी, टाटा मोटर्स और बीईएल शामिल थे। वहीं, टाटा स्टील, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, ईटरनल, अल्ट्राटेक सीमेंट, बजाज फाइनेंस और ट्रेंट प्रमुख गेनर्स में रहे।

एशियाई बाजारों में मिलाजुला रुख देखने को मिला। शंघाई, हांगकांग, सियोल, बैंकॉक और जकार्ता हरे निशान में, जबकि टोक्यो लाल निशान में कारोबार कर रहा था। अमेरिकी बाजार भी मिश्रित बंद हुए, जहां डाउ जोन्स 0.32% टूटा और नैस्डैक 0.05% बढ़ा।

18 जुलाई को विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) ₹374.74 करोड़ की शुद्ध खरीदारी के साथ बाजार में लौटे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) लगातार 10वें दिन खरीदार बने रहे और ₹2,103.51 करोड़ की शुद्ध खरीदारी की।

चॉइस इक्विटी ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड के मंदार भोजाने ने कहा, “मौजूदा अस्थिरता और वैश्विक संकेतों के बीच ट्रेडर्स को सावधानी बरतते हुए ‘सेल-ऑन-राइज़’ की रणनीति अपनानी चाहिए, खासकर जब लीवरेज के साथ ट्रेडिंग कर रहे हों।”

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