भारत के ‘बाहुबली’ रॉकेट ने अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट ऑर्बिट में स्थापित किया
नई दिल्ली:
भारत का ‘बाहुबली’ रॉकेट, लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3-M6), आज सुबह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से अमेरिकी इनोवेटर AST SpaceMobile के नेक्स्ट-जेन कम्युनिकेशन सैटेलाइट ब्लू बर्ड 6 के साथ सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ। यह किसी भारतीय लॉन्चर द्वारा ले जाया गया अब तक का सबसे भारी पेलोड है। मिशन का उद्देश्य सीधे अंतरिक्ष से आम स्मार्टफोन पर ब्रॉडबैंड बीम देना है, जिससे उपयोगकर्ताओं को किसी खास उपकरण की आवश्यकता नहीं होगी।
लॉन्च के 24 घंटे की उलटी गिनती के बाद, 43.5 मीटर लंबे रॉकेट ने सुबह 8:55 बजे श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से शानदार ढंग से उड़ान भरी। रॉकेट को दो S200 सॉलिड बूस्टर द्वारा समर्थन प्राप्त था। लगभग 15 मिनट की उड़ान के बाद, रॉकेट पर सवार ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 स्पेसक्राफ्ट अलग हुआ और लगभग 520 किमी की ऊंचाई पर अपनी तय ऑर्बिट में पहुँच गया।
अंतरिक्ष विभाग के सचिव और ISRO के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने कहा, “LVM3-M6 ने ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 कम्युनिकेशन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक और सटीकता से तय ऑर्बिट में स्थापित किया। यह किसी भारतीय लॉन्चर द्वारा ले जाया गया अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट है।”
डॉ. नारायणन ने आगे कहा कि यह LVM3 का तीसरा पूरी तरह से कमर्शियल मिशन है और इसने अपनी विश्वसनीयता का शानदार रिकॉर्ड दिखाया। उन्होंने इसे ग्लोबल लेवल पर किसी भी लॉन्च व्हीकल के बेहतरीन प्रदर्शन में शामिल बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस लॉन्च को “भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम” बताते हुए कहा, “सफल LVM3-M6 लॉन्च भारत की हेवी-लिफ्ट लॉन्च क्षमता को मजबूत करता है और ग्लोबल कमर्शियल लॉन्च मार्केट में हमारी बढ़ती भूमिका को और पक्का करता है।”
ब्लू बर्ड 6 सैटेलाइट और मिशन का महत्व
ब्लू बर्ड 6, ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स की अगली पीढ़ी का हिस्सा है। इसे सीधे स्टैंडर्ड मोबाइल स्मार्टफोन को स्पेस-बेस्ड सेलुलर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मिशन ISRO की कमर्शियल शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और अमेरिकी AST SpaceMobile के बीच साइन किए गए कमर्शियल एग्रीमेंट के तहत किया गया है।
ISRO ने लॉन्च से पहले 90 सेकंड की देरी की, ताकि रॉकेट के फ्लाइट पाथ में संभावित टकराव से बचा जा सके। यह देरी असामान्य नहीं मानी जाती, क्योंकि श्रीहरिकोटा के ऊपर का स्पेस क्षेत्र अब हजारों सैटेलाइट्स के कारण बेहद व्यस्त हो गया है।
LVM3 लॉन्च व्हीकल का प्रदर्शन
LVM3 एक तीन-स्टेज वाला लॉन्च व्हीकल है, जिसमें दो सॉलिड स्ट्रैप-ऑन मोटर (S200), एक लिक्विड कोर स्टेज (L110), और एक क्रायोजेनिक अपर स्टेज (C25) शामिल हैं। इसका लिफ्ट-ऑफ मास 640 टन है और यह जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में 4,200 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है।
अपने पिछले मिशनों में, LVM3 ने चंद्रयान-2, चंद्रयान-3, और 72 सैटेलाइट ले जाने वाले वनवेब मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। पिछला मिशन LVM3-M5/CMS-03 2 नवंबर को सफलतापूर्वक पूरा हुआ था।
इस लॉन्च के साथ भारत ने एक बार फिर अपनी हेवी-लिफ्ट क्षमता और कमर्शियल अंतरिक्ष लॉन्च मार्केट में अपनी स्थिति को मजबूती से स्थापित किया है।
