मैनचेस्टर टेस्ट से पहले भारत की चिंता: ऋषभ पंत की फिटनेस पर सस्पेंस बरकरार
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ “करो या मरो” वाले चौथे टेस्ट से पहले टीम इंडिया की चिंता उपकप्तान ऋषभ पंत की फिटनेस को लेकर बढ़ गई है। लॉर्ड्स टेस्ट के दौरान कीपिंग करते वक्त पंत की बाईं हाथ की तर्जनी उंगली में चोट लग गई थी, जिसके बाद वे कीपिंग नहीं कर पाए और दर्द के बावजूद बल्लेबाज़ी करते हुए 74 और 9 रन बनाए।
टीम के सहायक कोच रयान टेन डोशेट ने बताया कि पंत को फिट होने का पूरा समय दिया जा रहा है ताकि वे 23 जुलाई से शुरू हो रहे टेस्ट में खेलने के लिए तैयार हो सकें। कप्तान शुभमन गिल ने लॉर्ड्स टेस्ट के बाद कहा था कि पंत मैनचेस्टर में जरूर खेलेंगे। गिल ने कहा, “उन्होंने तीसरे टेस्ट में काफी दर्द में बल्लेबाज़ी की और अब उंगली की स्थिति बेहतर हो रही है। मुझे नहीं लगता कि कोई चीज़ पंत को टेस्ट खेलने से रोक सकती है।”
टेन डोशेट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कीपिंग उनकी फिटनेस प्रक्रिया का अंतिम चरण है और टीम नहीं चाहती कि टेस्ट के बीच में कीपर को बदलना पड़े, जैसा लॉर्ड्स में हुआ था। उस दौरान ध्रुव जुरेल ने विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी संभाली थी। उन्होंने कहा, “अगर पंत फिट रहते हैं तो वो ही दोनों रोल निभाएंगे, लेकिन जुरेल विकल्प के तौर पर तैयार हैं।”
भारत फिलहाल पांच मैचों की सीरीज़ में 1-2 से पीछे है और पिछले दो टेस्ट में एक जैसी समस्या देखने को मिली है — एक ही सत्र में कई विकेट गिर जाना। टेन डोशेट ने कहा कि टीम ज्यादा बदलाव नहीं करना चाहती, लेकिन विकेटों के क्लस्टर लॉस से सतर्क है। “हेडिंग्ले और लॉर्ड्स दोनों में हमने बहुत कम समय में छह विकेट खो दिए, जो हार की बड़ी वजह बना। हालांकि, बल्लेबाज़ों की फॉर्म अच्छी है।”
एक और पैटर्न जो सामने आया है, वह है लंच से ठीक पहले विकेट गिरना। इस पर बात करते हुए डोशेट ने कहा कि ड्रेसिंग रूम में यह मुद्दा उठाया गया है, और टीम इस पर आत्ममंथन कर रही है — क्या यह संयोग है या ध्यान भटकने का नतीजा?
मैनचेस्टर में भारत 11 साल बाद टेस्ट खेल रहा है, लेकिन डोशेट का मानना है कि यह कोई बहाना नहीं हो सकता। “हम वही पिच पर खेल रहे हैं जिस पर इंग्लैंड खेल रही है। हमारी सोच है कि किसी भी हालात को बहाना न बनाएं, और खिलाड़ी इस मानसिकता को अपना भी रहे हैं।”
अंत में, उन्होंने बताया कि सपोर्ट स्टाफ बेंच पर बैठे खिलाड़ियों को भी पूरा ध्यान दे रहा है। “18 खिलाड़ियों के स्क्वॉड में सभी को खेलने का मौका नहीं मिल पाता, लेकिन जरूरी है कि सभी मानसिक, तकनीकी और शारीरिक रूप से तैयार रहें और टीम का माहौल सकारात्मक बना रहे।”