एडीबी के अनुसार, देश में महंगाई दर इस वर्ष 3.8 प्रतिशत और 2026 में 4.0 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुमानों के भीतर है। भारत में खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर भी असर पड़ा है। जून में CPI महज 2.1 प्रतिशत रहा, जो पिछले 77 महीनों में सबसे कम है।
कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के अनुसार, भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 6.4 से 6.7 प्रतिशत के दायरे में रह सकती है, जिससे भारत एक बार फिर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित होता है।
वहीं, एडीबी ने एशिया और प्रशांत क्षेत्र की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए अपने वृद्धि पूर्वानुमानों को घटा दिया है। बैंक का कहना है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए नए शुल्कों और वैश्विक व्यापार अनिश्चितता के चलते क्षेत्र के निर्यात पर असर पड़ा है, साथ ही घरेलू मांग भी कमजोर हुई है।
अब ADB का अनुमान है कि 2025 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाएं 4.7 प्रतिशत की दर से और 2026 में 4.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेंगी, जो पहले के अप्रैल पूर्वानुमानों से 0.2 प्रतिशत अंक कम है।
ADB के मुख्य अर्थशास्त्री अल्बर्ट पार्क ने कहा, “एशिया और प्रशांत क्षेत्र ने इस साल चुनौतीपूर्ण वैश्विक हालात का सामना किया है। हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताओं और बढ़ते जोखिमों के कारण आर्थिक परिदृश्य कमजोर हुआ है।”
उन्होंने आगे कहा कि क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को निवेश, रोजगार और विकास को समर्थन देने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और खुले व्यापार व क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
चीन की वृद्धि दर 2025 में 4.7 प्रतिशत और 2026 में 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। दक्षिण-पूर्व एशिया की अर्थव्यवस्थाएं व्यापार परिस्थितियों के खराब होने और अनिश्चितता के कारण सबसे अधिक प्रभावित हो सकती हैं। ADB अब इस उपक्षेत्र के लिए 2025 में 4.2 प्रतिशत और 2026 में 4.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगा रहा है, जो अप्रैल पूर्वानुमानों से लगभग 0.5 प्रतिशत अंक कम है।