अंतरराष्ट्रीय व्यापार दबाव से मुक्त होना चाहिए: मोहन भागवत

International trade should be free from pressure: Mohan Bhagwat
(File Pic: Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने आज कहा कि देशों के बीच व्यापार दबाव मुक्त और स्वैच्छिक होना चाहिए। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू हो गए हैं।

नई दिल्ली में RSS के शताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के अंतिम दिन बोलते हुए श्री भागवत ने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि केवल आवश्यक वस्तुएं ही आयात की जानी चाहिए, बाकी सब कुछ देश में ही बनना चाहिए।

उन्होंने कहा, “अंतरराष्ट्रीय व्यापार चलता रहेगा, लेकिन यह दबाव मुक्त और स्वैच्छिक होना चाहिए… इसलिए हमें स्वदेशी का उपयोग बढ़ाना चाहिए। देश की व्यापार नीति स्वैच्छिक सहयोग पर आधारित होनी चाहिए, न कि किसी मजबूरी पर।”

मोहन भागवत ने यह भी स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) का मतलब आयात बंद करना नहीं है। “दुनिया एक-दूसरे पर निर्भर है, इसलिए आयात-निर्यात चलता रहेगा, लेकिन उसमें कोई दबाव नहीं होना चाहिए।”

अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से भारतीय निर्यातकों को गहरा झटका लगा है। कई उद्योग क्षेत्र इससे बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं। व्यापारियों और विशेषज्ञों ने इस संकट को अवसर में बदलने के सुझाव दिए हैं — जैसे कि व्यापार में सहूलियत बढ़ाना, अन्य देशों से व्यापार संबंध मजबूत करना और घरेलू बाजार पर ध्यान केंद्रित करना।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही “वोकल फॉर लोकल” अभियान के तहत देशवासियों से स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की अपील कर चुके हैं। मंगलवार को, जब अमेरिका के टैरिफ लागू होने से एक दिन पहले, उन्होंने गुजरात के हंसलपुर में मारुति सुज़ुकी की पहली इलेक्ट्रिक गाड़ी ई-विटारा को हरी झंडी दिखाते हुए कहा, “भारत में बनी कोई भी चीज़, चाहे उसमें विदेशी निवेश हो या विदेशी मुद्रा, वह स्वदेशी मानी जानी चाहिए।”

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि स्वदेशी का मतलब विदेशी वस्तुओं का पूर्ण बहिष्कार नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भर बनना है। उन्होंने लोगों से गांवों में बनी चीज़ें और स्थानीय उत्पाद खरीदने की अपील की। उन्होंने कहा, “अगर हम घर पर नींबू पानी बना सकते हैं, तो कोका-कोला क्यों लाएं?”

“बाहर से चीज़ें लाना हमारे स्थानीय विक्रेताओं को नुकसान पहुंचाता है। जो भी चीज़ हमारे देश में बनती है, उसे बाहर से मंगाने की जरूरत नहीं है। और जो जरूरी है लेकिन देश में नहीं बनती, वह बाहर से मंगाई जाए।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *