जगदीप धनखड़ ने दिया उपराष्ट्रपति पद से हटने के बाद अपना पहला भाषण, आरएसएस की सराहना की
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जुलाई में दिए अपने इस्तीफ़े के बाद शुक्रवार को अपना पहला सार्वजनिक कार्यक्रम भोपाल में किया। वह वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी मनमोहन वैद्य द्वारा लिखित पुस्तक “हम और यह विश्व” के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि उनके लिए कर्तव्य सर्वोपरि है, और इसका “हालिया प्रमाण” सबके सामने है। अपने संबोधन में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को देश की “सबसे स्थिरकारी शक्ति” बताया और संगठन की राष्ट्र-निर्माण वाली सोच की सराहना की।
धनखड़ ने कहा कि यह पुस्तक आरएसएस को अति-दक्षिणपंथी या अल्पसंख्यक विरोधी बताने वाले मिथकों को तोड़ती है। उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ी उन धारणाओं को भी “निराधार” बताया जो लंबे समय से संघ पर आरोपों के रूप में गूंजी हैं।
कार्यक्रम के दौरान एक व्यक्ति ने उन्हें याद दिलाया कि उन्हें शाम 7:30 बजे दिल्ली की फ्लाइट पकड़नी है। इस पर धनखड़ ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं फ्लाइट के लिए अपना कर्तव्य नहीं छोड़ सकता, और मित्रों, मेरा हालिया अतीत इसका प्रमाण है।” उनकी इस टिप्पणी पर सभागार में हंसी गूंज उठी।
उन्होंने नैरेटिव में फंसने को लेकर भी आगाह किया। धनखड़ ने कहा, “ईश्वर न करे कि कोई नैरेटिव में फंस जाए। अगर कोई इस जाल में फंस गया तो निकलना बहुत कठिन हो जाता है।” उन्होंने तुरंत ही हल्के अंदाज़ में जोड़ दिया—“मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा हूँ,” जिस पर दर्शकों ने ठहाके लगाए।
अपने संबोधन में धनखड़ ने वैश्विक चुनौतियों—सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक तनाव—के बीच भारत की सभ्यतागत शक्ति को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने धर्म, न्याय और मानव गरिमा जैसी भारतीय मूल्यों को देश की आत्मविश्वासपूर्ण और सांस्कृतिक रूप से दृढ़ पहचान की आधारशिला बताया।
यह कार्यक्रम आध्यात्मिक नेताओं, मीडिया प्रतिनिधियों और आरएसएस पदाधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित हुआ और धनखड़ की सार्वजनिक जीवन में वापसी का संकेत माना जा रहा है। उनका संबोधन सांस्कृतिक गर्व, राष्ट्रीय आत्मविश्वास और कर्तव्यनिष्ठा के संदेश से परिपूर्ण रहा।
