‘मदरसों को मराठी पढ़ानी चाहिए’: महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने विवादास्पद टिप्पणी करके राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने सुझाव दिया है कि मदरसों में उर्दू की जगह मराठी भाषा पढ़ाई जानी चाहिए और इस्लामी अज़ान भी मराठी में दी जानी चाहिए।
यह टिप्पणी कांग्रेस पार्टी द्वारा मुंबई के चुनिंदा इलाकों में मराठी पाठशालाएँ स्थापित करने के हालिया प्रयासों की प्रतिक्रिया में आई है। इस कदम को सतही बताते हुए राणे ने कहा कि अलग मराठी स्कूलों की कोई ज़रूरत नहीं है और मदरसों में उर्दू की जगह मराठी पढ़ाई जानी चाहिए। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, “वरना, वहाँ से सिर्फ़ बंदूक ही मिलेगी।”
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ता मराठी भाषा विवाद पर मीरा रोड में एक विशाल विरोध मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं, निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर रहे हैं और एहतियातन गिरफ्तारियों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।
भाषा विवाद तब शुरू हुआ जब राज्य सरकार ने राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने की योजना बनाई। इस आदेश पर राज्य में विपक्ष और भाषा समर्थक समूहों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
यह विवाद हाल ही में मुंबई में आयोजित विजय रैली के दौरान राज ठाकरे के भाषण के बाद और अधिक तूल पकड़ गया, जहां उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) कार्यकर्ताओं से कहा कि वे सुनिश्चित करें कि शहर में गैर-मराठी भाषी लोग स्थानीय भाषा सीखें, लेकिन उन्होंने किसी भी हिंसक घटना को रिकॉर्ड करने से परहेज किया।