बाबरी मस्जिद प्रस्ताव को लेकर ममता बनर्जी विधायक हुमायूं कबीर से नाराज़: सूत्र

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की तर्ज़ पर संरचना बनाने के विधायक हुमायूं कबीर के प्रस्ताव से बेहद नाराज़ हैं। पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि तृणमूल कांग्रेस इस पहल से खुद को नहीं जोड़ेगी, और यह संदेश सीधे तौर पर विधायक को दे दिया गया है।
बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य के मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा, “विधायक हुमायूं कबीर से जुड़ा मामला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व देख रहा है। वह अपनी बात लगातार बदल रहे हैं। हमें उम्मीद है कि वह कल बहरामपुर में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे।” बनर्जी गुरुवार को मुर्शिदाबाद में चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण के विरोध में एक रैली को संबोधित करेंगी।
सूत्रों ने बताया कि भरतपुर से विधायक हुमायूं कबीर को पार्टी ने रैली में उपस्थित रहने के लिए बुलाया है। लेकिन इसके ठीक एक दिन पहले उन्होंने 6 दिसंबर को बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की प्रतिकृति के शिलान्यास का अपना इरादा दोहराया।
इधर, बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस ने राज्य सरकार से यह पूछते हुए कड़ा रुख अपनाया है कि यदि हुमायूं कबीर के बयान से कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने का खतरा है, तो अब तक उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
उन्होंने कहा, “फील्ड और इंटेलिजेंस रिपोर्ट से संकेत मिलते हैं कि मुर्शिदाबाद को जानबूझकर विवाद का केंद्र बनाने की कोशिश की जा रही है। इसे किसी भी हालत में होने नहीं दिया जाएगा।” राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि मामला सिर्फ पूजा स्थल के निर्माण का नहीं है; अगर सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश हुई तो सरकार और प्रशासन “मूक दर्शक नहीं बने रहेंगे।”
मुर्शिदाबाद का प्रशासन फिलहाल पूरी तरह हाई अलर्ट पर है। मंगलवार को अपने जिले के दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वरिष्ठ अधिकारियों और जिला नेतृत्व के साथ कई दौर की मैराथन बैठकें कीं।
हुमायूं कबीर के पास 6 दिसंबर के कार्यक्रम के लिए आवश्यक पुलिस अनुमति नहीं है, लेकिन उनकी चुप्पी को देखते हुए प्रशासन किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहता।
तृणमूल कांग्रेस के एक जिला नेता ने दावे के साथ कहा कि हुमायूं का यह “पूरा तमाशा” रेजिनगर सीट से टिकट पाने के लिए दबाव बनाने की रणनीति है। उनके अनुसार, कबीर पहले भी सीट सुनिश्चित करने के लिए पार्टी पर दबाव बना चुके हैं, लेकिन इस बार हालात बेहद जटिल हो गए हैं।
