मायावती ने भरी 2027 की हुंकार, लखनऊ रैली से BSP की जोरदार वापसी की कोशिश

Mayawati vows 2027, attempts BSP's strong comeback with Lucknow rallyचिरौरी न्यूज

लखनऊ: कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ के कांशीराम स्मृति स्थल पर गुरुवार को एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने राजनीतिक मंच से जमकर हुंकार भरी। चार साल पहले इसी जगह दिए गए उनके तेज़तर्रार भाषण की गूंज अब और भी तेज़ सुनाई दी — और इस बार मायावती कहीं ज़्यादा मुखर और आक्रामक नज़र आईं।

करीब दो लाख से अधिक कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में हुए इस महासभा को देखकर एक राजनीतिक विश्लेषक ने टिप्पणी की, “नवाबों का शहर आज नीला हो गया है।”

SP और कांग्रेस ने दलितों का किया अपमान

मायावती ने अपने एक घंटे लंबे भाषण में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि ये दोनों पार्टियां दलितों को केवल चुनावी वक्त पर याद करती हैं और सत्ता में आने के बाद उन्हें भूल जाती हैं।

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार पर कांशीराम नगर का नाम बदलकर कासगंज करने और BSP शासनकाल की योजनाओं व स्मारकों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। मायावती ने कांग्रेस पर भी तीखा प्रहार करते हुए कहा, “कांशीराम जी के निधन के बाद कांग्रेस ने एक दिन का भी राष्ट्रीय शोक नहीं घोषित किया। उनके लिए श्रद्धांजलि सिर्फ दिखावा है, असल में उनका रवैया दलित विरोधी है।”

“हमें BJP से कोई प्रेम नहीं, पर जो सही है, उसे मानना पड़ेगा”

इस रैली में एक दिलचस्प बात यह रही कि मायावती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की सराहना भी की — खासकर BSP द्वारा बनवाए गए पार्कों और स्मारकों की देखरेख को लेकर। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने इन स्थलों के रखरखाव में रुचि दिखाई है और जनता से प्राप्त राजस्व को दबाया नहीं।

हालांकि कांग्रेस ने इसपर निशाना साधते हुए कहा कि BSP “भाजपा की लाइन पर चल रही है” और इसे “कांशीराम की विरासत के साथ विश्वासघात” बताया। BSP के सूत्रों के अनुसार, “मायावती ने जहां तारीफ करना जरूरी था, वहां की है। इसका मतलब यह नहीं कि वह BJP को बाकी मुद्दों पर नहीं घेरेंगी।”

“चुनाव से पहले नहीं, छह महीने से थी तैयारी”

सूत्रों का कहना है कि यह रैली अचानक नहीं हुई। पार्टी ने बीते छह महीनों से जमीनी स्तर पर संगठन को फिर से खड़ा करने का काम शुरू कर दिया था। कार्यकर्ताओं की एक टीम ने गांव-गांव जाकर दलित समुदाय से संपर्क साधा और SP-कांग्रेस के “दोगलेपन” को उजागर किया।

मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को भी फिर से पार्टी के केंद्रीय मंच पर लाकर यह स्पष्ट संकेत दिया कि BSP अब युवाओं और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी मजबूती से उतरने को तैयार है। जहां SP और कांग्रेस मिलकर PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) गठजोड़ का दावा कर रहे हैं, वहीं मायावती ने इसे “राजनीतिक छल” बताया और कहा कि असली बहुजन एकता की सोच तो BSP ही लेकर चलती है, वो भी बिना किसी जातिवादी या सांप्रदायिक एजेंडे के।

BSP अब जाटवों से आगे बढ़कर गैर-जाटव दलितों और पिछड़ों को भी साथ जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है।

“हाथी जागा नहीं है, वह तो पहले से चल रहा था”

रैली के समापन पर मायावती के इस एक वाक्य ने पूरे माहौल में जोश भर दिया। “हाथी जागा नहीं है, वह तो पहले से चल रहा था… अब बस चिंघाड़ रहा है!”

2027 के विधानसभा चुनाव में एक साल शेष है, और BSP ने यह साफ कर दिया है कि वह मैदान से बाहर नहीं हुई, बल्कि कमर कसकर रणनीतिक तैयारी में जुटी हुई थी। अब जब मंच सजा है, कार्यकर्ता उत्साहित हैं, और BSP फिर से अपनी जड़ों तक पहुंचने का दावा कर रही है — तो क्या वाकई उत्तर प्रदेश की राजनीति में फिर से “नीला तूफान” आने वाला है?

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