मिशेल स्टार्क की पत्नी ने चेतेश्वर पुजारा पर किया बड़ा खुलासा, “उन्होंने मेरे पति सहित सभी गेंदबाजों को थका दिया था”
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: चेतेश्वर पुजारा ने पेशेवर क्रिकेट को अलविदा कह दिया है, लेकिन इस विदाई के साथ एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि क्या क्रिकेट की दुनिया फिर कभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके जैसा बल्लेबाज़ देख पाएगी। पुजारा न केवल तकनीकी दृष्टि से मजबूत थे, बल्कि उनकी मानसिक दृढ़ता और धैर्य ने उन्हें आधुनिक टेस्ट क्रिकेट के सबसे खास बल्लेबाज़ों में शुमार किया।
खासतौर पर 2018-19 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में उनका प्रदर्शन ऐतिहासिक रहा, जब उन्होंने सात पारियों में 1258 गेंदें खेलीं और भारत की पहली ऑस्ट्रेलियाई सरज़मीं पर टेस्ट सीरीज़ जीत में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद 2020-21 की सीरीज़ में भी उन्होंने खुद को एक दीवार के रूप में पेश किया, जो टूटती नहीं थी।
ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटर एलिसा हीली ने भी पुजारा की इस खासियत को सलाम किया है। “विलो टॉक” पॉडकास्ट पर बात करते हुए हीली ने स्वीकार किया कि उनके जैसे बल्लेबाज़ों की मानसिकता आज के दौर के क्रिकेटरों में शायद ही देखने को मिले। उन्होंने कहा कि उनके पास खुद वैसी मानसिक दृढ़ता नहीं है जैसी पुजारा ने दिखायी।
उन्होंने कहा कि पुजारा ने जिस तरह से ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ी आक्रमण को थकाया, वह आज के दौर में दुर्लभ है। हीली ने यह भी याद किया कि कैसे उनके पति मिशेल स्टार्क और पूरी ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ी इकाई पुजारा को आउट करने के बजाय दूसरे छोर पर ध्यान देने लगे थे, क्योंकि उन्हें लगा कि पुजारा को हटाना नामुमकिन है।
हीली ने मौजूदा बल्लेबाज़ों की सोच में आए बदलाव की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि आजकल खिलाड़ी पहले रन बनाने के बारे में सोचते हैं, न कि क्रीज़ पर टिके रहने के बारे में। नाथन मैकस्वीनी और मार्नस लाबुशेन जैसे बल्लेबाज़ भी भारत के खिलाफ संघर्ष करते नज़र आए, क्योंकि उन्हें टिकने से ज्यादा रन बनाने की जल्दी थी। हीली मानती हैं कि यह मानसिकता अब क्रिकेट का हिस्सा बन चुकी है और इसी कारण पुजारा जैसे बल्लेबाज़ अब शायद ही देखने को मिलें।
हालांकि उन्होंने यह भी माना कि कुछ खिलाड़ी जैसे जो रूट और स्टीव स्मिथ अब भी उस एंकर की भूमिका निभाते हैं जो टीम के बाकी खिलाड़ियों को अपने चारों ओर खेलने का मौका देते हैं। लेकिन उन्होंने साफ कहा कि पुजारा जैसा संयम, एकाग्रता और धैर्य अब क्रिकेट में दुर्लभ होता जा रहा है और यही उन्हें खास बनाता है। पुजारा की विदाई न केवल भारतीय क्रिकेट के लिए, बल्कि पूरे क्रिकेट जगत के लिए एक युग का अंत है।