सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा में उठाई देशभर के पीड़ितों की आवाज़, नॉन-ट्रेसेबल सर्टिफिकेट और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को ऑटो–डिजिटल करने की मांग

MP Brijmohan Agrawal raised the voice of victims across the country in the Lok Sabha, demanding auto-digitization of non-traceable certificates and post-mortem reports.चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली:  लोकसभा के शीतकालीन सत्र में आज एक बार फिर रायपुर सांसद एवं वरिष्ठ भाजपा नेता श्री बृजमोहन अग्रवाल ने अपने संवेदनशील, दूरदर्शी और जन-केंद्रित नेतृत्व का परिचय देते हुए लाखों नागरिकों से जुड़ी एक बेहद महत्वपूर्ण राष्ट्रीय समस्या को जोरदार ढंग से उठाया।

आज शून्यकाल में सांसद अग्रवाल ने भारत सरकार और गृह मंत्रालय से मांग की कि इंश्योरेंस क्लेम, चोरी के मामलों और अप्राकृतिक मृत्यु की स्थितियों में आवश्यक नॉन-ट्रेसेबल रिपोर्ट एवं पोस्ट–मॉर्टम रिपोर्ट जारी करने की संपूर्ण पुलिस प्रक्रिया को पूरी तरह ऑटो–डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाए, ताकि पीड़ित परिवारों को किसी भी प्रकार की देरी, भ्रष्टाचार या उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।

सदन में सांसद अग्रवाल ने अत्यंत संवेदनशील शब्दों में कहा कि, “जब किसी परिवार में अप्राकृतिक मृत्यु होती है, परिवार दुख से टूटा होता है; ऐसे समय में उन्हें दस्तावेज़ों के लिए चक्कर लगवाना केवल अमानवीय ही नहीं, बल्कि अन्याय भी है।’’

इसी प्रकार चोरी की घटनाओं में लोगों को नॉन-ट्रेसेबल सर्टिफिकेट प्राप्त करने हेतु लंबी, थकाऊ और कई बार भ्रष्टाचार से ग्रस्त प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिससे इंश्योरेंस क्लेम महीनों तक अटक जाते हैं।

सांसद ने स्पष्ट कहा कि, “यदि इन प्रक्रियाओं को पूर्णत: डिजिटल कर दिया जाए तो मानवीय हस्तक्षेप समाप्त होगा और शोषण की गुंजाइश स्वतः खत्म हो जाएगी।”

उन्होंने इस मुद्दे की गंभीरता बताते हुए कहा कि यह केवल किसी एक राज्य की समस्या नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर की प्रणालीगत विफलता है। इसी कारण राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को रिश्वतखोरी के मामलों में स्वतः संज्ञान लेते हुए कर्नाटक सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों चीफ सेक्रेट्री और डीजीपी को नोटिस तक जारी करना पड़ा था।

सांसद ने कहा कि यह घटनाएं बताती हैं कि तकनीक आधारित सुधार अब विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता हैं। सांसद अग्रवाल ने गृह मंत्रालय के समक्ष एक व्यवहारिक समाधान रखते हुए प्रस्ताव दिया कि— इन सभी सेवाओं को CCTNS (Crime & Criminal Tracking Network & Systems) से जोड़ा जाए। पुलिस द्वारा जारी सभी रिपोर्टों की ऑटो-डिलीवरी के माध्यम से सीधे पीड़ितों के मोबाइल फोन पर उपलब्ध कराई जाए।

साथ ही प्रक्रिया को समयबद्ध, पारदर्शी और ट्रैक करने योग्य बनाया जाए। उन्होंने कहा कि यह कदम आम नागरिक के जीवन को बेहद आसान बना देगा और पुलिस व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ाएगा। जनहित के मुद्दों को मुखरता से उठाने के प्रति वर्षों से प्रतिबद्ध सांसद बृजमोहन अग्रवाल एक बार फिर साबित कर गए कि वे केवल अपने क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश की पीड़ा को अपनी आवाज़ देते हैं।

उनकी यह पहल न केवल मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग के लिए राहत लाएगी, बल्कि देशभर में नागरिक–केंद्रित पुलिस प्रशासन और डिजिटल भारत के लक्ष्य को भी मजबूत करेगी।

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