संसद परिसर में एनडीए सांसदों का विरोध प्रदर्शन, मौलाना साजिद रशीदी की टिप्पणी पर कड़ा विरोध

NDA MPs protest in Parliament premises, strong opposition to Maulana Sajid Rashidi's remarksचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद डिंपल यादव पर आपत्तिजनक और आपमानजनक टिप्पणी को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांसदों ने सोमवार को संसद परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। सांसदों ने एकजुट होकर संसद भवन के बाहर नारेबाज़ी की और हाथों में तख्तियां लेकर खड़े हुए, जिन पर लिखा था – “नारी गरिमा पर प्रहार, नहीं करेंगे कभी भी स्वीकार।”

यह विरोध उस वक्त सामने आया जब लखनऊ पुलिस ने इस्लामी धर्मगुरु मौलाना साजिद रशीदी के खिलाफ एक टेलीविज़न डिबेट के दौरान मैनपुरी सांसद डिंपल यादव को लेकर भड़काऊ, आपत्तिजनक और महिलाओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर एफआईआर दर्ज की है।

विवादित टिप्पणी में मौलाना रशीदी ने डिंपल यादव के सार्वजनिक रूप से बिना सिर ढके आने की आलोचना की और उसके साथ एक अपमानजनक टिप्पणी भी जोड़ दी, जिससे राजनीतिक गलियारों और आम नागरिकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।

बताया जा रहा है कि यह टिप्पणी दिल्ली के संसद मार्ग स्थित मस्जिद में समाजवादी पार्टी की बैठक के दौरान सामने आए एक दृश्य के आधार पर की गई थी, जिसमें डिंपल यादव, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कैराना सांसद इक़रा हसन भी मौजूद थीं। मौलाना की यह टिप्पणी न सिर्फ़ महिलाओं के खिलाफ मानी जा रही है, बल्कि सामाजिक रूप से विभाजनकारी भी करार दी जा रही है।

वहीं दूसरी ओर, जहां एनडीए इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है, वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया (INDIA) ने संसद के बाहर एक अलग मुद्दे पर विरोध दर्ज कराया। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष तीव्र पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ नारेबाज़ी की।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने संसद के मकर द्वार पर एकत्र होकर इस प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की। विपक्ष का दावा है कि इस पुनरीक्षण अभियान के तहत बिहार में 52 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं, जिसमें प्रवासी, हाशिए पर खड़े और कमजोर वर्ग के लोग विशेष रूप से प्रभावित होंगे।

विपक्ष ने इस अभियान को “संस्थागत वोटर क्लीनसिंग” की संज्ञा दी है और आरोप लगाया है कि यह प्रक्रिया सत्तारूढ़ एनडीए को लाभ पहुंचाने के लिए चलाई जा रही है। हालांकि, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह एक नियमित, पारदर्शी और निर्धारित प्रक्रिया के तहत किया जा रहा पुनरीक्षण है, जिसमें किसी भी प्रकार का राजनीतिक पूर्वाग्रह नहीं है।

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