नीरज चोपड़ा की सुनहरी लय टूटी: चोट, संघर्ष और एक नई शुरुआत की कहानी
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में यह दिन किसी सदमे से कम नहीं था। वह नीरज चोपड़ा, जिसने ओलंपिक से लेकर विश्व चैंपियनशिप तक लगातार सफलता के झंडे गाड़े, आखिरकार एक बड़े टूर्नामेंट में पदक से चूक गया। 2566 दिनों और 33 प्रतियोगिताओं की निरंतरता टूट गई — एक ऐसी लय, जिसने उन्हें न सिर्फ भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर अविश्वसनीय बना दिया था।
नीरज टोक्यो में चल रही विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पुरुष भाला फेंक फाइनल में महज़ 84.03 मीटर की सर्वश्रेष्ठ दूरी ही फेंक पाए और आठवें स्थान पर रहे। इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह रही कि यह वही टोक्यो था, जहां उन्होंने चार साल पहले भारत को ओलंपिक स्वर्ण दिलाया था।
चोट ने बदला पूरा समीकरण
इस निराशाजनक प्रदर्शन के पीछे की असली वजह नीरज ने खुद बताई — कमर में गंभीर चोट। टोक्यो में मीडिया से बात करते हुए नीरज ने बताया कि दो हफ्तों से वह ट्रेनिंग नहीं कर पाए थे और केवल रिहैब कर रहे थे। चोट उन्हें तब लगी जब वह चेक गणराज्य में शॉट पुट के साथ एक थ्रोइंग ड्रिल कर रहे थे। स्कैन में डिस्क से जुड़ी समस्या सामने आई।
“मैंने इस बारे में एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया को पहले ही बता दिया था। पर कोच और फिजियो से सलाह के बाद खेलने का फैसला किया,” नीरज ने कहा।
तकनीक नहीं, फिटनेस बनी हार की वजह
नीरज का मानना है कि तकनीक में कोई बड़ी खामी नहीं थी, बल्कि शारीरिक रूप से फिट न होने की वजह से वह पूरी ताकत से थ्रो नहीं कर पाए। उनके रन-अप में अस्थिरता साफ देखी गई और ब्लॉकिंग के समय भी वह लड़खड़ा गए। पांच में से दो थ्रो फाउल हुए और बाकी में वह लय नहीं पकड़ सके।
“मैं लेफ्ट साइड की ओर झुक रहा था ताकि पीठ पर दबाव न पड़े। मैं किसी भी हाल में सुरक्षित रहना चाहता था।”
प्रतियोगिता के अंतिम राउंड में हल्की बारिश शुरू हो गई, जिससे रनवे फिसलन भरा हो गया और जैवलिन की ग्रिप भी बिगड़ गई। नीरज ने साफ कहा कि वह इन परिस्थितियों का बहाना नहीं बनाना चाहते, लेकिन चोट और बारिश के संयोग ने उन्हें पूरी तरह से रोक दिया।
टीम इंडिया के लिए मिलाजुला दिन
जहां एक ओर नीरज के लिए यह दिन निराशाजनक रहा, वहीं दूसरी ओर भारत के सचिन यादव ने चौथे स्थान पर रहकर सबका ध्यान खींचा। उन्होंने अपनी निजी सर्वश्रेष्ठ थ्रो 86.27 मीटर के साथ कांस्य पदक से महज़ 40 सेमी पीछे रहकर इतिहास रच दिया।
नीरज ने सचिन की तारीफ करते हुए कहा, “मैं बहुत खुश हूं सचिन के लिए। उसने तीन बार अपना बेस्ट तोड़ा और आखिरी थ्रो में कमाल कर दिया।”
इस बार के फाइनल में कई दिग्गज खिलाड़ियों का प्रदर्शन भी फीका रहा। पाकिस्तान के अरशद नदीम, जो मौजूदा ओलंपिक चैंपियन हैं, वे 83 मीटर भी पार नहीं कर सके और 10वें स्थान पर रहे। वहीं सीजन लीडर जूलियन वेबर 86.11 मीटर के साथ पांचवें स्थान पर रहे। गोल्ड इस बार 2012 के ओलंपिक चैंपियन के खाते में गया, जिन्होंने 88.16 मीटर थ्रो किया।
भले ही यह एक बड़ा झटका है, लेकिन नीरज चोपड़ा का जज्बा अभी भी अडिग है। उन्होंने साफ कहा कि यह प्रदर्शन उन्हें सीख देगा और वह अगले सीजन में पूरी ताकत से वापसी करेंगे।
“मैं इसे स्वीकार करता हूं। यह खेल है, जीवन है। हम वापसी करेंगे। अगला सीजन हमारे लिए नया अवसर होगा।”
नीरज अब पूरी तरह से रिकवरी पर ध्यान देंगे और कोच जान जेलेंस्की के साथ मिलकर 2026 की तैयारी करेंगे, जिसमें पेरिस ओलंपिक भी अहम होगा।