नेशनल रीडिंग डे पर हेमा मालिनी ने जताई चिंता, कहा– “पढ़ने की आदत खो रही है, किताबों से दोबारा जुड़ें”

On National Reading Day, Hema Malini expressed concern and said, “The habit of reading is being lost, reconnect with books”चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली:  नेशनल रीडिंग डे के अवसर पर वयोवृद्ध अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी ने आज के डिजिटल युग में पढ़ने की घटती आदत को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने खासतौर पर युवा पीढ़ी से अपील की है कि वे पढ़ने की पुरानी आदत को फिर से अपनाएं, क्योंकि यह व्यक्तिगत विकास और कल्पनाशक्ति को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है।

हेमा मालिनी ने अपने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की जिसमें वे किताब पढ़ती नजर आ रही हैं। उन्होंने लिखा, “मैंने हमेशा एक सक्रिय जीवन जिया है। लेकिन इस व्यस्तता के बीच कभी-कभी एक आध्यात्मिक किताब पढ़ना मुझे मेरे उद्देश्य और उन लोगों से फिर से जोड़ देता है जिनकी मैं सेवा करती हूं। पढ़ना मेरे लिए हमेशा एक शांत करने वाला अनुभव रहा है।”

उन्होंने बताया कि वे खास तौर पर आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ना पसंद करती हैं, जिससे उन्हें मानसिक शांति और आत्मिक ऊर्जा मिलती है।

हेमा मालिनी ने पढ़ने की गिरती प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए ‘IndiaReadsIndiaRises’ अभियान का समर्थन किया, जिसे रीता गुप्ता और मीनाक्षी लेखी द्वारा शुरू किया गया है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे 19 जून को शाम 4 बजे से 5 बजे तक अपनी पसंद की किसी भी किताब को पढ़ें और इस अभियान का हिस्सा बनें।

अभिनेत्री ने यह भी याद दिलाया कि नेशनल रीडिंग डे भारत में हर साल 19 जून को मनाया जाता है, जो कि पी.एन. पणिक्कर की स्मृति में समर्पित है। उन्हें “भारत के पुस्तकालय और साक्षरता आंदोलन के जनक” के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने केरल में पढ़ने की क्रांति की शुरुआत की थी।

उन्होंने लिखा, “आज के डिजिटल युग में पढ़ने की आदत तेजी से कम होती जा रही है, जो बेहद चिंताजनक है। पढ़ना सिर्फ ज्ञान पाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक इंसान को सजग नागरिक भी बनाता है। इसलिए इस राष्ट्रीय पढ़ाई दिवस पर आइए हम सभी मिलकर एक घंटे किताबों को समर्पित करें और अपने मन की शक्ति को फिर से जागृत करें।”

नेशनल रीडिंग डे पर हेमा मालिनी का यह संदेश उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो तेज़ भागती दुनिया में किताबों से दूर हो गए हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि पढ़ना सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि एक संस्कृति है, जिसे संजोना जरूरी है।

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