ऑपरेशन सिंदूर को सरकार के राजनीतिक संकल्प और स्पष्ट रणनीतिक दिशा से बल मिला: थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी

Operation Sindoor was strengthened by the political resolve and clear strategic direction of the government: Army Chief General Upendra Dwivediचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ढाँचों पर केंद्रित सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पारंपरिक अभियानों से अलग एक रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध था, जिसे थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने एक शतरंज की तरह का संघर्ष बताया।

उन्होंने कहा कि इस अभियान में भारत को यह स्पष्ट नहीं था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी, इसलिए हर निर्णय एक रणनीतिक जोखिम था। उन्होंने इसे ग्रेज़ोन संघर्ष कहा, जहां पारंपरिक युद्ध के बजाय सीमित लेकिन अत्यधिक सटीक कार्रवाइयाँ की जाती हैं। जनरल द्विवेदी ने इस्लामाबाद की उस रणनीति की भी आलोचना की जिसमें वह खुद को संघर्ष का विजेता साबित करने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा अपने सेना प्रमुख असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने को वह एक मनोवैज्ञानिक छवि निर्माण के रूप में पेश कर रहा है ताकि यह धारणा बने कि उसने इस संघर्ष में जीत हासिल की है।

सेना प्रमुख ने आईआईटी मद्रास में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को सरकार के राजनीतिक संकल्प और स्पष्ट रणनीतिक दिशा से बल मिला, विशेष रूप से तब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना को पूरी छूट देने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि 23 अप्रैल को हुई उच्च-स्तरीय बैठक में रक्षा मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि अब बहुत हो गया है और तीनों सेनाओं के प्रमुखों को निर्णय लेने की पूरी स्वतंत्रता दी गई।

जनरल द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का नाम पूरे देश के लिए प्रेरणा बन गया और इस अभियान ने राष्ट्रीय एकता को भी मजबूती दी। उन्होंने बताया कि 7 मई को शुरू किए गए इस अभियान में नौ प्रमुख लक्ष्यों को निशाना बनाते हुए भारतीय सशस्त्र बलों ने हवाई और मिसाइल हमलों का संयोजन किया।

भारत ने स्पष्ट किया कि ये हमले केंद्रित, सोचे-समझे और बिना किसी उकसावे के थे, जबकि पाकिस्तान ने जवाबी ड्रोन और मिसाइल हमलों का प्रयास किया जिसे भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने विफल कर दिया। इस अभियान को सैन्य और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भारत की निर्णायक जीत माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसने भारत की उच्च-सटीक, समन्वित सैन्य कार्रवाई की क्षमता को उजागर किया और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ एक सशक्त निवारक संदेश दिया।

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