कांग्रेस की ‘ऐतिहासिक चूक’ से बना पाकिस्तान परमाणु शक्ति: हिमंत बिस्वा सरमा का बड़ा हमला

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला करते हुए भारत की रणनीतिक विफलताओं की ओर इशारा किया और कहा कि 1980 के दशक में पाकिस्तान को परमाणु शक्ति बनने से रोकने में भारत की असफलता “ऐतिहासिक भूल” थी।
सीएम सरमा ने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि पाकिस्तान के काहुटा यूरेनियम संवर्धन संयंत्र को निष्क्रिय करने का एक अवसर भारत के पास था, जिसे राजनीतिक संकोच ने खो दिया।
उन्होंने लिखा कि रॉ (RAW) के पास 1980 के दशक की शुरुआत में ही काहुटा संयंत्र में पाकिस्तान की परमाणु गतिविधियों के ठोस प्रमाण थे। उस समय इजराइल ने भारत को संयुक्त पूर्व-खुफिया हमले का प्रस्ताव भी दिया था और इसके लिए जामनगर एयर बेस को चिन्हित किया गया था।
सरमा के अनुसार, भारत की सैन्य नेतृत्व ने भी इस सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सहमति दे दी थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया के डर से अंतिम समय में कदम पीछे खींच लिए। बाद में राजीव गांधी ने पूरी योजना को रद्द कर दिया और कूटनीतिक रास्ता चुना।
सीएम सरमा ने कहा, “इस निर्णयहीनता ने 1998 में पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण और उपमहाद्वीप में हथियारों की होड़ की नींव रखी।” उन्होंने 1988 में राजीव गांधी और बेनज़ीर भुट्टो के बीच हुए भारत-पाक परमाणु अप्रहार समझौते को “गलत विश्वास” का प्रतीक बताया।
सरमा ने कहा कि पाकिस्तान ने इस ‘परमाणु छतरी’ का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को ‘प्रतिरोधक क्षमता’ के नाम पर बचाने के लिए किया।
उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में वामपंथी दल सीपीआई-एम के घोषणापत्र की भी आलोचना की, जिसमें भारत की परमाणु नीति को खत्म करने की बात कही गई थी। सरमा ने इसे “बेहद नासमझी भरा विचार” बताया।
अंत में, उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “जहां भारत को नेतृत्व में साहस दिखाने की जरूरत थी, वहां कांग्रेस ने कायरता चुनी। इस हिचकिचाहट की कीमत आज भी देश चुका रहा है।”
सरमा की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब राष्ट्रीय सुरक्षा और परमाणु नीति जैसे मुद्दे देश की चुनावी राजनीति में फिर से केंद्र में आ रहे हैं।