पाकिस्तान एक असफल राष्ट्र, जब तक वहां जनता की सरकार नहीं बनेगी, रिश्ते नहीं सुधरेंगे: फारूक अब्दुल्ला

Pakistan is a failed nation, till a people's government is not formed there, relations will not improve: Farooq Abdullah
(Pic/Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को पाकिस्तान को “एक असफल राष्ट्र” करार देते हुए कहा कि जब तक वहां जनता की सरकार नहीं बनती, भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में सुधार संभव नहीं है।

एनसी मुख्यालय में पार्टी कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान की जनता भारत से दोस्ती चाहती है, लेकिन वहां की सत्ता में बैठे लोग टकराव का रास्ता अपनाते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तो इसके “खतरनाक परिणाम” हो सकते हैं, क्योंकि दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं।

“पाकिस्तान के हालात खराब हैं। वहां की सरकार ने देश और जनता की बेहतरी के लिए कुछ नहीं किया, बल्कि भारत से टकराव को ही रास्ता चुना ताकि अपनी जिम्मेदारियों से बच सकें,” अब्दुल्ला ने कहा।

उन्होंने कहा, “जब तक वहां सेना का नियंत्रण रहेगा, तब तक भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार नहीं हो सकता। जब वहां सच्चे मायनों में जनता की सरकार बनेगी, तब ही शांति की उम्मीद की जा सकती है।”

कश्मीर के मौजूदा हालात पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य “कठिन समय” से गुजर रहा है और भविष्य के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है।

“दोनों देश युद्ध की तैयारी कर रहे हैं। दुनिया भर में प्रयास हो रहे हैं कि यह युद्ध न हो और हमलावरों और उनके मास्टरमाइंड्स को पकड़ा जाए। लेकिन इन प्रयासों की सफलता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता,” उन्होंने कहा।

पाकिस्तानी नागरिकों की देश से वापसी (डिपोर्टेशन) के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह कदम “मानवता के खिलाफ” है।

“मानवता के आधार पर कह सकता हूं कि यह अच्छा कदम नहीं है। वे 70 साल, 25 साल या 5 साल से यहां रह रहे थे, उनके बच्चे यहीं पढ़ रहे थे। उन्होंने भारत को अपनाया, भारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया, तो ऐसे कदमों के अच्छे परिणाम नहीं होंगे,” उन्होंने कहा।

देश में जातिगत जनगणना पर केंद्र सरकार की घोषणा का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

“लोग इसकी मांग कर रहे थे। इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि कितने ब्राह्मण हैं, कितने पिछड़ी जातियों के हैं, कितने मुसलमान, सिख, ईसाई या अन्य हैं। यह जानना ज़रूरी है,” उन्होंने कहा।

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