पीएम मोदी ने तोड़ा इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड, लगातार कार्यकाल में नेहरू के बाद दूसरे स्थान पर पहुंचे
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए देश के दूसरे सबसे लंबे समय तक लगातार प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। उन्होंने लगातार 4,078 दिन प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 4,077 दिनों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। अब उनसे आगे सिर्फ देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू हैं, जिन्होंने आज़ादी के बाद 1947 से 1964 तक लगातार प्रधानमंत्री पद संभाला।
यह रिकॉर्ड ऐसे समय पर बना है जब प्रधानमंत्री मोदी लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटे हैं। 2014, 2019 और 2024 में मिली ऐतिहासिक जीतों के साथ उन्होंने न केवल भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय लिखा है, बल्कि कई ऐसे रिकॉर्ड भी बनाए हैं जो अब तक सिर्फ कांग्रेस के नेताओं के नाम दर्ज थे।
मोदी आज़ादी के बाद जन्म लेने वाले पहले और एकमात्र प्रधानमंत्री हैं। इसके अलावा वे सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी हैं। वे एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने दो बार लोकसभा में पूर्ण बहुमत हासिल किया और तीन बार अपनी पार्टी को आम चुनावों में जीत दिलाई है। नेहरू के बाद लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले वे पहले प्रधानमंत्री बने हैं।
पीएम मोदी का यह सफर सिर्फ दिल्ली की सत्ता तक सीमित नहीं रहा। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में भी उन्होंने लगातार तीन बार चुनाव जीतकर खुद को मज़बूत जन नेता के रूप में स्थापित किया था। 2001 से 2014 तक राज्य की बागडोर संभालने के बाद 2014 में उन्होंने केंद्र की सत्ता संभाली और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
एक साधारण परिवार से आने वाले नरेंद्र मोदी ने अपने जीवन की शुरुआत गुजरात के वडनगर में एक रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते हुए की थी। वहां से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के ज़रिए उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनाई। उनके करिश्माई नेतृत्व और मजबूत जनसंपर्क शैली ने उन्हें वैश्विक मंच पर भी एक प्रभावशाली नेता बना दिया है।
आज जब वे 4,078 दिनों तक लगातार प्रधानमंत्री पद पर बने रहने वाले दूसरे नेता बन गए हैं, यह उनकी जनस्वीकृति, संगठन कौशल और नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है। देश और दुनिया की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि आगे आने वाले वर्षों में वह और कौन से मील के पत्थर तय करेंगे।