भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते को पीएम मोदी ने बताया ‘ऐतिहासिक कदम’, ‘यह दोनों देशों के लिए परिवर्तनकारी होगा
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हुए ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की सराहना करते हुए इसे दोनों देशों के आर्थिक संबंधों के लिए “परिवर्तनकारी कदम” बताया।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया मंच X पर MyGovIndia के एक पोस्ट को साझा करते हुए लिखा, “एक बेहद जानकारीपूर्ण थ्रेड, जो भारत-यूके व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (CETA) के परिवर्तनकारी प्रभाव की झलक देता है…”
“जनता का समझौता शुरू हो गया है” शीर्षक वाले इस थ्रेड में बताया गया है कि यह नया व्यापार समझौता भारतीय किसानों, MSMEs, युवाओं, महिला उद्यमियों और पेशेवरों के लिए वैश्विक बाजारों के नए दरवाज़े खोलेगा।
$34 अरब डॉलर तक बढ़ेगा व्यापार
यह समझौता प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक यूके यात्रा के दौरान संपन्न हुआ और इसे भारत-यूके संबंधों में एक नया मील का पत्थर माना जा रहा है। इस FTA से दोनों देशों के बीच वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार में $34 अरब डॉलर की वृद्धि का अनुमान है।
समझौते के प्रमुख बिंदु:
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भारत ब्रिटेन के 90% उत्पादों पर आयात शुल्क घटाएगा।
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यूके भारत के 99% निर्यात पर शुल्क समाप्त करेगा।
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इससे व्यापार की लागत घटेगी और बाज़ार तक पहुंच आसान होगी।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भी इस समझौते को “ब्रिटेन के लिए एक बड़ी जीत” बताया। उन्होंने कहा, “यह व्यापार समझौता ब्रिटेन में हज़ारों नौकरियां पैदा करेगा, व्यवसायों के लिए नए अवसर खोलेगा और देश के हर कोने में आर्थिक विकास को गति देगा।”
उपभोक्ताओं और निर्यातकों को होगा सीधा लाभ
भारतीय उपभोक्ताओं के लिए इस समझौते के तहत स्कॉच व्हिस्की, जिन, लक्ज़री कारों, कॉस्मेटिक्स और चिकित्सा उपकरणों जैसे आयातित उत्पादों की कीमतें घटेंगी। वहीं, भारतीय वस्त्र और चमड़ा निर्यातकों को शून्य शुल्क का लाभ मिलेगा, जिससे वे बांग्लादेश और कंबोडिया जैसे देशों के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
इसके अलावा, भारतीय कृषि उत्पादों को जर्मनी जैसे प्रमुख यूरोपीय निर्यातकों के बराबर टैरिफ छूट मिलेगी, जिससे किसानों को बड़ा फायदा होगा।
“जनता-केंद्रित समझौता” कह रहे विशेषज्ञ
विशेषज्ञों के अनुसार यह समझौता न केवल रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करेगा, बल्कि यह दोनों देशों की आम जनता के लिए भी “जनता-केंद्रित समझौता” साबित होगा। यह व्यापार, निवेश, रोज़गार और नवाचार के क्षेत्रों में नए अवसरों के द्वार खोलेगा।