प्रधानमंत्री मोदी ने कुरुक्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अनुभव को बताया “अत्यंत आनंददायक”
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात के 128वें एपिसोड में हाल ही में कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अपने अनुभव को साझा करते हुए इसे “अत्यंत आनंददायक” बताया। उन्होंने विशेष रूप से महाभारत अनुभव केंद्र का उल्लेख किया, जो महाकाव्य को आधुनिक तकनीक के माध्यम से जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “हम सभी जानते हैं कि महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ था। लेकिन अब आगंतुक इस ऐतिहासिक युद्ध को महाभारत अनुभव केंद्र में प्रत्यक्ष रूप से महसूस कर सकते हैं।” उन्होंने बताया कि केंद्र में 3D लाइट-एंड-साउंड शो और डिजिटल प्रोजेक्शन तकनीक के माध्यम से महाभारत के महत्वपूर्ण क्षणों को जीवंत किया गया है, जो आगंतुकों पर गहरा प्रभाव छोड़ता है।
पीएम मोदी ने कहा, “25 नवंबर को जब मैं कुरुक्षेत्र गया, तब अनुभव केंद्र में अनुभव ने मुझे अत्यधिक आनंदित किया। इस तरह की पहल युवाओं और अंतर्राष्ट्रीय आगंतुकों को हमारे सांस्कृतिक और सभ्यतागत दृष्टांतों से जुड़ने का अवसर देती हैं।”
प्रधानमंत्री ने ब्रह्म सरोवर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में अपनी भागीदारी को भी “विशेष” बताया और कहा कि महोत्सव में विभिन्न देशों के प्रतिभागियों की उपस्थिति गीता के वैश्विक प्रसार को दर्शाती है। उन्होंने कहा, “मैं देख कर बहुत प्रभावित हुआ कि दुनिया भर के लोग इस दिव्य ग्रंथ से प्रेरित हो रहे हैं। महोत्सव में यूरोप और मध्य एशिया सहित कई देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।”
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि इस महीने की शुरुआत में सऊदी अरब में पहली बार सार्वजनिक रूप से गीता का पाठ किया गया, जिसे उन्होंने ऐतिहासिक विकास बताया। इसके अलावा लातविया में आयोजित गीता महोत्सव भी उल्लेखनीय रहा, जिसमें लातविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया और अल्जीरिया के कलाकारों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
वहीं, उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 के दौरान आयोजित अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने भगवद गीता को “नैतिक जीवन और उदात्त कृत्यों के लिए सार्वभौमिक मार्गदर्शक” बताते हुए कहा कि आधुनिक सामाजिक और तकनीकी बदलावों के युग में इसका संदेश स्थिरता प्रदान करता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव भारत के सनातन मूल्यों — धर्म, कर्तव्य, आत्मसुधार और अनुशासन — को पुनर्जीवित करता है और लोगों को गीता की शिक्षाओं से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने यह भी बताया कि ये मूल्य प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत की दृष्टि का दार्शनिक आधार हैं।
