प्रधानमंत्री मोदी ने बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों से की मुलाकात, “आतंकवाद के खिलाफ भारत की आवाज़ को मजबूती से रखा गया”

PM Modi meets multi-party delegations, "India's voice against terrorism was raised strongly"चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपने आधिकारिक आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर उन बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मुलाकात की, जो हाल ही में विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व कर लौटे हैं। प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधियों की सराहना करते हुए कहा, “हम सभी को गर्व है जिस तरह से उन्होंने वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज़ को मजबूती से प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत की शांति की प्रतिबद्धता और आतंकवाद के उन्मूलन की आवश्यकता को प्रभावी ढंग से सामने रखा।”

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, “विभिन्न देशों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मुलाकात की। उन्होंने भारत की शांति के प्रति प्रतिबद्धता और आतंकवाद के संकट को समाप्त करने की आवश्यकता को विस्तृत रूप से बताया। हम सभी को गर्व है कि उन्होंने भारत की बात को जिस तरह वैश्विक स्तर पर रखा।”

यह बैठक भारत की सक्रिय और निर्णायक कूटनीतिक पहल को दर्शाती है, जिसका उद्देश्य आतंकवाद पर वैश्विक विमर्श को आकार देना और भारत की सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण को मजबूत करना है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुआ यह कूटनीतिक अभियान

यह कूटनीतिक पहल “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद की गई, जिसे 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था। इस सैन्य अभियान में पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए।

इसके साथ-साथ भारत ने सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों को 33 देशों में भेजा, जहां उन्होंने भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीतियों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रमुख रूप से रखा। इन प्रतिनिधियों ने नीति-निर्माताओं, निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और वैश्विक संस्थाओं के साथ बातचीत कर पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को मिल रहे समर्थन को उजागर किया।

बिपक्ष और सत्ता पक्ष की एकजुटता

इस पहल की विशेषता इसका बहुदलीय और राष्ट्रहित में एकजुट स्वरूप रहा। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, कांग्रेस के शशि थरूर, जद(यू) के संजय झा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, डीएमके की कनिमोझी, और एनसीपी-एसपी की सुप्रिया सुले ने इन कूटनीतिक दलों का नेतृत्व किया।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी जैसे विपक्षी नेताओं की भागीदारी ने भारत की इस रणनीति को एक व्यापक और एकजुट राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आज़ाद और सलमान खुर्शीद जैसे अनुभवी राजनेताओं की उपस्थिति ने इस पहल को और अधिक व्यापकता और विश्वसनीयता प्रदान की।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इन प्रतिनिधिमंडलों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने भारत की स्थिति को प्रभावी ढंग से वैश्विक मंचों पर रखा। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की निरंतर कूटनीतिक पहलें भारत की वैश्विक साख को मजबूत करती हैं और गलत सूचनाओं के खिलाफ प्रभावी प्रतिकार प्रदान करती हैं।

इन यात्राओं से प्राप्त अनुभव और जानकारी भारत की भविष्य की आतंकवाद विरोधी रणनीतियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा को प्रभावित करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्रालय की इस पहल ने यह दर्शा दिया कि आतंकवाद जैसे वैश्विक संकट के खिलाफ भारत केवल सैन्य नहीं, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी पूरी ताकत से सक्रिय है — और इस प्रयास में संपूर्ण राजनीतिक नेतृत्व एक साथ खड़ा है।

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