भाषा पर भाजपा और द्रमुक के बीच राजनीतिक संग्राम, कांग्रेस की चुप्पी से विपक्षी एकता पर खतरा

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: तीन-भाषा मुद्दे पर भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और द्रमुक शासन वाली तमिलनाडु सरकार के बीच चल रही तीव्र राजनीतिक बहस ने आगामी बजट सत्र से पहले एक नया मोड़ ले लिया है। तमिलनाडु में हिंदी के अनिवार्य शिक्षण को लेकर विवाद गर्मा गया है, और विपक्षी INDIA गठबंधन की एकता अब खतरे में नजर आ रही है।
कांग्रेस पार्टी, जो इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है, विपक्षी एकता को लेकर सवालों के घेरे में आ गई है। द्रमुक, जो INDIA गठबंधन का महत्वपूर्ण सहयोगी है, केंद्र के हिंदी पर जोर देने के खिलाफ खुलकर विरोध कर रही है, जबकि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से अपनी स्थिति नहीं दी है, जिससे गठबंधन में दरार की आशंका बढ़ गई है।
केंद्र सरकार के राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में तीन-भाषा फार्मूला, जिसमें स्कूलों में तीन भाषाओं का शिक्षण अनिवार्य किया गया है, को दक्षिण भारत और अन्य क्षेत्रों में हिंदी को थोपने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। तमिलनाडु में इस प्रस्ताव के खिलाफ विरोध की भावना और भी तीव्र हो गई है, जहां पहले से ही हिंदी के खिलाफ एक लंबा इतिहास रहा है।
द्रमुक के प्रवक्ता टीकेएस एलांगोवन ने कहा, “हम राज्य बोर्ड स्कूलों में केवल तमिल और अंग्रेजी का ही शिक्षण चाहते हैं। केंद्र के द्वारा हिंदी को थोपने का हम विरोध करते हैं।” वहीं, भाजपा ने हिंदी को देश की एकता का प्रतीक बताया और क्षेत्रीय दलों पर आरोप लगाया कि वे राजनीतिक लाभ के लिए भाषा मुद्दे का गलत उपयोग करते हैं।
कांग्रेस ने भी भाजपा की आलोचना की, और कहा कि हिंदी को थोपने का प्रयास भाजपा के राजनीतिक लाभ के लिए है। अब सवाल यह है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ेगी या नहीं, और तमिलनाडु के इस संवेदनशील मामले पर उनका रुख क्या होगा। यह निर्णय विपक्षी गठबंधन की एकता को प्रभावित कर सकता है।