75 की उम्र में नेतृत्व छोड़ने की बात पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से सियासी हलचल, कांग्रेस ने कसा तंज

Political stir due to RSS chief Mohan Bhagwat's statement on leaving the leadership at the age of 75, Congress took a jibe
(File Pic: Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि नेताओं को 75 वर्ष की आयु के बाद नेतृत्व से हट जाना चाहिए। उनके इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, खासकर इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वयं भागवत दोनों सितंबर 2025 में 75 वर्ष के हो जाएंगे।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए एक ट्वीट में लिखा, “बेचारे पुरस्कार-जीवी प्रधानमंत्री! लौटते ही RSS प्रमुख ने याद दिलाया कि 17 सितंबर 2025 को आप 75 के हो जाएंगे।” उन्होंने आगे लिखा कि प्रधानमंत्री भी RSS प्रमुख को याद दिला सकते हैं कि वह खुद 11 सितंबर को 75 के हो जाएंगे। रमेश ने ट्वीट में लिखा, “एक तीर, दो निशाने।”

कांग्रेस के एक और नेता पवन खेड़ा ने भी मोदी पर तंज कसते हुए लिखा, “अब दोनों झोला उठाओ और एक-दूसरे का मार्गदर्शन करो।” उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें उन्होंने भागवत के बयान को “अच्छी खबर” बताते हुए मोदी-भागवत की जोड़ी पर हमला बोला। खेड़ा ने कहा, “अगर प्रधानमंत्री राजनीति में नहीं होते, तो शायद बॉलीवुड में होते। बॉलीवुड तो बच गया, लेकिन देश नहीं बच पाया।”

मोहन भागवत नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे, जहां उन्होंने दिवंगत RSS विचारक मोरोपंत पिंगले पर आधारित पुस्तक ‘मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस’ का विमोचन किया। इसी दौरान उन्होंने कहा कि पिंगले का मानना था कि जब व्यक्ति 75 की उम्र को छूता है, तो उसे पीछे हटकर दूसरों को काम करने देना चाहिए।

मार्च में प्रधानमंत्री मोदी ने कई वर्षों बाद नागपुर स्थित संघ मुख्यालय का दौरा किया था। उस समय शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता संजय राउत ने दावा किया था कि मोदी संघ मुख्यालय इसलिए गए थे क्योंकि वे अपने रिटायरमेंट की घोषणा करने वाले हैं। हालांकि भाजपा ने इन अटकलों को खारिज करते हुए इसे एक सामान्य दौरा बताया।

इसी बीच, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के एक हालिया बयान ने भी चर्चा को और हवा दी है। शाह, जो अभी 60 वर्ष के हैं, ने कहा कि राजनीति के बाद वे अपना जीवन वेद, उपनिषद और प्राकृतिक खेती को समर्पित करेंगे।

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