राजनीति अर्थशास्त्र से ऊपर है: व्यापार तनाव के बीच एस जयशंकर का अमेरिका पर कटाक्ष
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: चल रहे ट्रेड तनावों के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक माहौल को “अनिश्चित” बताते हुए कहा कि आज की दुनिया में राजनीति तेजी से अर्थव्यवस्था पर हावी होती जा रही है। IIM-कलकत्ता से डॉक्टरेट की ऑनरेरी डिग्री प्राप्त करने के बाद अपने संबोधन में उन्होंने भारत के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए सप्लाई सोर्सेज़ में विविधता लाने को अत्यंत आवश्यक करार दिया।
जयशंकर ने कहा, “यह वह दौर है जब पॉलिटिक्स इकोनॉमिक्स पर ट्रंप कर रही है। ऐसी दुनिया में हमें अपने सप्लाई सोर्स लगातार विविध करने होंगे, ताकि देश की ज़रूरतें सुरक्षित रहें।”
उनकी यह टिप्पणी हालिया भारत-US ट्रेड विवादों की पृष्ठभूमि में आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयातित वस्तुओं पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने और अन्य भारी शुल्कों के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है। विदेश मंत्री ने वॉशिंगटन की बदलती नीतियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि अमेरिका अब देशों से “वन-ऑन-वन बेसिस” पर नई शर्तों के साथ डील कर रहा है।
भारत और अमेरिका इस समय दो समानांतर ट्रैकों पर चर्चा कर रहे हैं—एक टैरिफ विवादों को सुलझाने के लिए और दूसरा एक व्यापक ट्रेड एग्रीमेंट की दिशा में। दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक वर्तमान 191 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखते हैं।
हालाँकि तनाव बरकरार है, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि भारत “US के 50% टैरिफ के सबसे बुरे प्रभाव” से बचने में सफल रहा है और अधिक फायदेमंद समझौते का इंतज़ार करने को तैयार है।
वॉशिंगटन जहां भारतीय कृषि और हाई-टेक मार्केट में अधिक पहुंच चाहता है, वहीं नई दिल्ली डिजिटल ट्रेड, डेटा फ्लो और भारतीय पेशेवरों की बेहतर मोबिलिटी को लेकर स्पष्ट नियमों की मांग कर रहा है।
जयशंकर ने चीन के बर्ताव पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि चीन “लंबे समय से अपने ही नियमों के अनुसार काम करता आया है” और यही रवैया वैश्विक व्यवस्था में बिखराव पैदा कर रहा है। इस अस्थिरता के कारण कई देश अपनी रणनीतियों को लेकर सतर्क और हेजिंग मोड में हैं।
उन्होंने आगे कहा, “ग्लोबलाइज़ेशन, विभाजन और सप्लाई असुरक्षा के दबावों के बीच दुनिया आज आकस्मिकताओं से बचने के उपाय ढूंढ रही है।”
विदेश मंत्री ने आत्मनिर्भरता और मज़बूत औद्योगिक आधार की दिशा में भारत की कोशिशों को रेखांकित करते हुए कहा कि देश तेजी से मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने बताया कि इंफ्रास्ट्रक्चर और नवीन वैज्ञानिक तकनीकों में भारत अभूतपूर्व प्रगति कर रहा है।
चीन में वैश्विक उत्पादन का एक-तिहाई हिस्सा केंद्रित होने पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि सप्लाई चेन में मजबूती आज पहले से कहीं अधिक आवश्यक है, क्योंकि “झगड़ों और जलवायु संबंधी घटनाओं ने रुकावट की संभावना को और बढ़ा दिया है।”
भारत के लिए यह संदेश साफ़ है—अनिश्चित वैश्विक माहौल में आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विविधता, आत्मनिर्भरता और रणनीतिक तैयारी ही मार्ग है।
