बलात्कार मामले में प्रज्वल रेवन्ना को उम्रकैद, कोर्ट ने लगाया ₹10 लाख जुर्माना

Prajwal Revanna sentenced to life imprisonment in pornographic video and rape case, court imposed ₹10 lakh fineचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: बेंगलुरु स्थित विशेष अदालत (MPs/MLAs कोर्ट) ने शनिवार को एक ऐतिहासिक फैसले में पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते और पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने आदेश दिया कि उन्हें शेष जीवन तक जेल में ही रहना होगा। उनके ऊपर ₹10 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसमें से ₹7 लाख राशि पीड़िता को मुआवज़े के रूप में दी जाएगी। यह मामला एक 47 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार और आपत्तिजनक वीडियो से जुड़ा है, जिसमें प्रज्वल को दोषी पाया गया।

विशेष न्यायाधीश संतोष गजानना भट ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2)(N) के तहत बार-बार बलात्कार के लिए उम्रकैद और ₹5 लाख जुर्माना तथा धारा 376 (2)(K) के तहत प्रभुत्व की स्थिति में बलात्कार करने के लिए भी उम्रकैद और ₹5 लाख जुर्माने की सजा सुनाई। इसके अलावा IPC की धारा 354(B) के तहत महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से आपराधिक बल प्रयोग, धारा 354(C) के तहत वोयरिज़्म और आईटी एक्ट की धारा 66(E) के तहत निजता के उल्लंघन का भी दोषी पाया गया।

अदालत ने सजा सुनाने से पहले प्रज्वल रेवन्ना, विशेष लोक अभियोजकों और उनके वकील की अंतिम दलीलें भी दर्ज कीं। कोर्ट ने जब सजा सुनाई, तब प्रज्वल हाथ जोड़कर खड़े हो गए और भावुक होकर कोर्ट के सामने रो पड़े। उन्होंने अपनी अंतिम बात में कहा, “यह मामला चुनाव के दौरान ही क्यों सामने आया? जब मैं सांसद था, तब किसी ने शिकायत क्यों नहीं की? अब कहा जा रहा है कि मैंने कई बार यौन शोषण किया। यह सारा मामला राजनीति से प्रेरित है। पुलिस ने यह सब किया है। मैं कोर्ट का फैसला स्वीकार करता हूं। मैंने छह महीने से अपने माता-पिता को नहीं देखा।”

उन्होंने आगे कहा, “मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, मेरे रिकॉर्ड चेक किए जा सकते हैं। मैं मेधावी छात्र रहा हूं। मेरी गलती सिर्फ इतनी है कि मैं राजनीति में बहुत जल्दी ऊपर चढ़ गया। मैं मीडिया को दोष नहीं दूंगा।”

प्रज्वल रेवन्ना पर यह मामला एक घरेलू महिला कर्मचारी द्वारा दर्ज कराया गया था, जो होलेनरसीपुरा स्थित एक फार्महाउस में काम करती थी। वीडियो में महिला को प्रज्वल से रहम की गुहार लगाते हुए देखा गया, वह कह रही है कि उसने उनके पिता और परिवार के अन्य बुजुर्गों की सेवा की है।

यह मामला उस समय चर्चा में आया जब लोकसभा चुनावों के दौरान प्रज्वल के कई आपत्तिजनक वीडियो सामने आए, जिनमें महिलाओं के साथ कथित यौन शोषण और उनकी रिकॉर्डिंग शामिल थी। चुनाव के बाद प्रज्वल देश छोड़कर फरार हो गए थे। देवेगौड़ा और उनके चाचा एच.डी. कुमारस्वामी की अपील के बाद उन्होंने 31 मई 2024 को बेंगलुरु लौटकर समर्पण किया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। प्रज्वल पिछले 14 महीनों से बेंगलुरु सेंट्रल जेल में बंद हैं और उनकी जमानत याचिकाएं हर अदालत में खारिज हो चुकी हैं।

विशेष लोक अभियोजकों ने कोर्ट में यह दलील दी थी कि प्रज्वल को अधिकतम सजा दी जाए ताकि यह समाज में एक सशक्त संदेश दे और इस प्रकार के अपराधों को हतोत्साहित किया जा सके। इस मामले में कोर्ट ने कुल 26 सबूतों की समीक्षा की। वहीं प्रज्वल पर इसी तरह के तीन और मामले दर्ज हैं, जिनकी सुनवाई आगे होनी है।

इस फैसले को न्यायिक प्रक्रिया की बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है और यह देश में कानून और न्याय की शक्ति का स्पष्ट प्रमाण भी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *