डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि, “राष्ट्र की एकता के लिए किया बलिदान”
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने डॉ. मुखर्जी के “अतुलनीय साहस” और “राष्ट्र निर्माण में अमूल्य योगदान” को याद करते हुए उन्हें नमन किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि। उन्होंने देश की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए अद्वितीय साहस और प्रयास दिखाए। राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।”
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “भारत माता के इस सपूत, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रणेता, पूज्य डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को उनके बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन। उन्होंने भारत की एकता, अखंडता और स्वाभिमान के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया।”
उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल को भारत का अभिन्न अंग बनाए रखने के लिए वैचारिक और राजनीतिक संघर्ष किया और जनसंघ के रूप में एक नया विचार देश के समक्ष प्रस्तुत किया।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी X पर लिखा, “भारतीय जनसंघ के संस्थापक, पूज्य डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि। उन्होंने सत्ता का त्याग कर देश की एकता और अखंडता के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। उनका बलिदान सदा स्मरणीय रहेगा।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “‘एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे’ के उद्घोषक, भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि।”
उन्होंने कहा कि उनका बलिदान देश की एकता और अखंडता के लिए सभी देशवासियों के लिए प्रेरणास्रोत है।
डॉ. मुखर्जी ने अनुच्छेद 370 के खिलाफ संसद के बाहर जन आंदोलन की शुरुआत की थी। वर्ष 1953 में जब जम्मू-कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट प्रणाली लागू थी, तो उन्होंने इसके विरुद्ध आवाज उठाई और बिना परमिट के राज्य में प्रवेश करने का प्रयास किया। इसके चलते उन्हें 11 मई 1953 को गिरफ्तार किया गया और 45 दिन की हिरासत के बाद 23 जून 1953 को उनकी मृत्यु हो गई।
उनकी मृत्यु ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इसके बाद देश में एक ही संविधान, एक ही प्रधानमंत्री और एक ही झंडे की मांग ने ज़ोर पकड़ा। यह विचार “नहीं चलेंगे एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान” के नारे के रूप में देश भर में गूंजा।
भाजपा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, डॉ. मुखर्जी ने अनुच्छेद 370 को “भारत के विखंडन की राह” बताया और इसे “तीन राष्ट्र सिद्धांत” से जोड़ा।
आज, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को देश में एकता और अखंडता के प्रतीक के रूप में स्मरण किया जाता है।
