रोहन बोपन्ना ने कहा टेनिस को अलविदा: 20 साल के सुनहरे करियर का भावुक अंत

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारत के दिग्गज टेनिस खिलाड़ी और दो बार के ग्रैंड स्लैम विजेता रोहन बोपन्ना ने शनिवार को पेशेवर टेनिस से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। 20 वर्षों से भारतीय टेनिस का अहम चेहरा रहे बोपन्ना ने अपने शानदार करियर को भावुक शब्दों के साथ अलविदा कहा।
बोपन्ना ने हाल ही में पेरिस मास्टर्स 1000 में अपना आखिरी पेशेवर मैच खेला, जहां उन्होंने अलेक्जेंडर बबलिक के साथ जोड़ी बनाकर हिस्सा लिया। दोनों को पहले ही राउंड में जॉन पीयर्स और जेम्स ट्रेसी की जोड़ी से 5-7, 6-2, 10-8 से हार का सामना करना पड़ा।
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में बोपन्ना ने लिखा, “20 अविस्मरणीय सालों के बाद, अब वक्त है कि मैं अपने रैकेट को अलविदा कहूं। टेनिस ने मुझे वो सबकुछ दिया, जिससे मेरी ज़िंदगी को मायने मिले।”
कोर्ग के छोटे से शहर से अपने सफर की शुरुआत करने वाले बोपन्ना ने याद किया कि कैसे उन्होंने लकड़ी काटकर अपनी ताकत बढ़ाई, कॉफी के बागानों में दौड़कर स्टैमिना बनाया और टूटी फूटी कोर्ट्स पर सपनों का पीछा किया।
45 वर्षीय बोपन्ना ने अपने करियर में भारत का प्रतिनिधित्व ओलंपिक, डेविस कप और विश्व के तमाम बड़े टूर्नामेंट्स में गर्व के साथ किया। 2017 में उन्होंने गैब्रिएला डाब्रोव्स्की के साथ मिलकर फ्रेंच ओपन मिक्स्ड डबल्स खिताब जीता था, जो उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। वहीं, 2024 ऑस्ट्रेलियन ओपन पुरुष डबल्स खिताब जीतकर और 43 वर्ष की उम्र में विश्व नंबर-1 बनने का इतिहास रचकर उन्होंने अपने करियर को एक अविश्वसनीय ऊंचाई पर पहुंचाया।
बोपन्ना ने अपने भावुक संदेश में परिवार के प्रति गहरी कृतज्ञता भी व्यक्त की, “मेरे माता-पिता मेरे असली हीरो हैं। उन्होंने अपनी ज़िंदगी के सपनों को त्यागकर मुझे मेरा सपना जीने दिया। मेरी पत्नी सुप्रिया, तुम मेरे हर सफर की सच्ची साथी हो। और मेरी बेटी तृधा—हर मैच में मैं तुम्हारे लिए खेलता था, ताकि तुम्हें दिखा सकूं कि सपनों के लिए लड़ना हमेशा मायने रखता है।”
उन्होंने अपने कोच स्कॉट, साथी खिलाड़ियों, टीम, और प्रशंसकों का भी धन्यवाद करते हुए कहा, “भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा। हर मैच, हर पॉइंट, हर सर्व मैंने तिरंगे के गर्व के लिए खेला।”
पांच ग्रैंड स्लैम फाइनल तक पहुंच चुके बोपन्ना का करियर उनकी दृढ़ता, फिटनेस और खेल के प्रति समर्पण का प्रतीक रहा है।
अपने विदाई संदेश के अंत में उन्होंने लिखा, “मैं भले ही कोर्ट से दूर जा रहा हूं, लेकिन टेनिस से नहीं। अब मेरा मकसद है कि मैं उन छोटे शहरों के युवाओं को प्रेरित करूं, जो बड़े सपने देखने की हिम्मत रखते हैं। यह अंत नहीं है… यह एक धन्यवाद है उन सभी को, जिन्होंने मेरे सफर को शक्ल दी।”
भारत के टेनिस इतिहास में रोहन बोपन्ना का नाम सदैव स्वर्णाक्षरों में दर्ज रहेगा, एक खिलाड़ी, जिसने उम्र को मात दी और जुनून से इतिहास लिखा।
