रूस का अमेरिका पर निशाना: ट्रंप की नीति ‘नव-उपनिवेशवाद’, इतिहास के प्राकृतिक प्रवाह को कोई रोक नहीं सकता
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: रूस ने अमेरिका पर ग्लोबल साउथ के देशों के खिलाफ “नव-उपनिवेशवादी” नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वॉशिंगटन अपनी वैश्विक प्रभुत्व बनाए रखने के लिए राजनीतिक और आर्थिक दबाव का सहारा ले रहा है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाखारोवा ने कहा कि अमेरिका उन देशों पर “राजनीतिक रूप से प्रेरित आर्थिक दबाव” बना रहा है जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्वतंत्र नीति अपनाना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रूस ऐसे देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है ताकि एक “सच्चे बहुपक्षीय और समान विश्व व्यवस्था” की स्थापना की जा सके।
यह तीखा बयान उस वक्त आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दर्जनों देशों पर नए और व्यापक टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ट्रंप प्रशासन की इस नीति को ज़ाखारोवा ने “राष्ट्रीय संप्रभुता पर सीधा अतिक्रमण” और “भीतरी मामलों में दखल की कोशिश” करार दिया।
उन्होंने कहा, “प्रतिबंध और टैरिफ वॉर दुर्भाग्य से इस ऐतिहासिक युग की एक विशेषता बन गए हैं। पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है। अमेरिका उभरती बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में अपनी भूमिका कम होते नहीं देख पा रहा है और इसी वजह से वह नव-उपनिवेशवादी एजेंडे पर चल रहा है।”
ज़ाखारोवा ने कहा कि अमेरिका की नीति वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को नुकसान पहुंचा रही है, आर्थिक वृद्धि को धीमा कर रही है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को खंडित कर रही है। उन्होंने पश्चिमी देशों पर भी निशाना साधा और कहा कि वे अब उन्हीं मुक्त व्यापार सिद्धांतों को तोड़ रहे हैं जिनका उन्होंने कभी प्रचार किया था।
रूसी प्रवक्ता ने कहा, “हम दृढ़ता से मानते हैं कि कोई भी टैरिफ वॉर या प्रतिबंध इतिहास के प्राकृतिक प्रवाह को नहीं रोक सकते। हमारे साथ बड़ी संख्या में साझेदार, समान विचारधारा वाले देश और विशेषकर ब्रिक्स जैसे समूह खड़े हैं।”
गौरतलब है कि 2024 में ब्रिक्स में मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल किया गया था, जबकि 2025 में इंडोनेशिया भी इस संगठन का हिस्सा बन गया। ज़ाखारोवा ने कहा कि रूस ऐसे सभी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है, ताकि एकतरफा और अवैध प्रतिबंधों का मिलकर मुकाबला किया जा सके।
उधर, डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को भारत पर भी निशाना साधा और कहा कि वह रूस से “बड़ी मात्रा में तेल” खरीदने के बावजूद उसे “खुले बाज़ार में ऊंचे मुनाफे पर बेच रहा है”। ट्रंप ने संकेत दिया कि भारत को इस व्यापार के बदले “काफी ऊंचा टैरिफ” देना होगा।
भारत ने इस पर तीखा जवाब देते हुए अमेरिका को याद दिलाया कि जब यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से तेल खरीदना शुरू किया था, तो खुद अमेरिका ने ऐसे व्यापार को “प्रोत्साहित” किया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह व्यापार देश की ऊर्जा ज़रूरतों की मजबूरी है, जबकि जिन देशोें ने आलोचना की है, वे खुद भी रूस से व्यापार कर रहे हैं – जबकि उनके लिए यह कोई अपरिहार्य आवश्यकता नहीं है।
इस पूरे घटनाक्रम से अमेरिका और उसके पुराने सहयोगियों के साथ ग्लोबल साउथ के रिश्तों में बढ़ती खटास का संकेत मिलता है, और वैश्विक शक्ति संतुलन में एक स्पष्ट बदलाव को दर्शाता है।