शशि थरूर ने अबू धाबी स्थित BAPS हिंदू मंदिर को बताया “अद्भुत अनुभव”, पीएम मोदी की भूमिका की सराहना की

Shashi Tharoor calls Abu Dhabi's BAPS Hindu temple a "wonderful experience", praises PM Modi's roleचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: अबू धाबी में बने भव्य BAPS हिंदू मंदिर ने कांग्रेस सांसद और पूर्व संयुक्त राष्ट्र राजनयिक डॉ. शशि थरूर को गहराई से प्रभावित किया है। उन्होंने इस मंदिर की अपनी यात्रा को “अद्भुत अनुभव” और मंदिर को “अद्वितीय संरचना” करार दिया जो केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एकता और सौहार्द का प्रतीक है।

थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अहम भूमिका की भी सराहना की, जिनके प्रयासों से यह मंदिर परियोजना साकार हो सकी। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने यूएई सरकार के साथ मिलकर हिंदुओं की वर्षों पुरानी आकांक्षा को पूरा किया।

थरूर ने इस मंदिर की भव्य वास्तुकला की प्रशंसा करते हुए कहा कि रेगिस्तान की तपती गर्मी में भी मंदिर की टाइलें पैरों को ठंडक देती हैं, और इसका निर्माण इस तरह से किया गया है कि रेगिस्तान की धूल मंदिर तक नहीं पहुंचती। उन्होंने ‘वॉल ऑफ हार्मनी’, सात प्रमुख देवी-देवताओं के लिए बनाए गए व्यक्तिगत मंदिरों और दुनिया की नदियों और यूएई के सात अमीरातों को समर्पित प्रतीकों का विशेष रूप से उल्लेख किया।

थरूर ने मंदिर के डिज़ाइन को “एकता की झलक” और मानवता की साझा भावना का परिचायक बताया। उन्होंने कहा कि यह मंदिर प्रमुख स्वामी महाराज की दूरदर्शिता का परिणाम है, जिनकी प्रेरणा से यह परियोजना शुरू हुई। उन्होंने यूएई सरकार, खासकर शेख मोहम्मद बिन जायद की प्रशंसा की, जिनकी इच्छा थी कि मंदिर अपनी भव्यता में बेजोड़ हो।

थरूर ने अपने वीडियो संदेश में कहा, “और फिर जब नरेंद्र मोदीजी आए और उन्होंने सरकार के साथ मिलकर इसे आगे बढ़ाया…”

उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टीम में शामिल तीन मुस्लिम सहयोगियों ने भी मंदिर का आनंद बिना किसी प्रतिबंध के लिया, जो यूएई की समावेशी सोच को दर्शाता है। मंदिर में मौजूद 15 मिनट की डिजिटल एनीमेशन फिल्म को उन्होंने “एक परीकथा जैसा अनुभव” कहा। हालांकि वे गंगा आरती देखने से चूक गए, लेकिन उन्होंने दोबारा आने का संकल्प लिया। स्वामी ब्रह्मविहारी दास के साथ मंदिर के हर तत्व को समझते हुए थरूर ने इसे एक “आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से प्रेरणादायक स्थान” बताया।

थरूर ने कहा कि यह मंदिर केवल हिंदुओं के लिए तीर्थस्थल नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए एकता का प्रतीक है। उन्होंने इसे “अंधेरे में रोशनी की एक मोमबत्ती” बताया जो दुनिया में सौहार्द फैला सकती है।

यात्रा के अंत में थरूर ने खुद को “धन्य, भावुक और प्रेरित” बताया और कहा कि यह अनुभव उनके लिए ईश्वरीय संयोग जैसा था। उन्होंने सभी लोगों से इस “अवश्य देखने योग्य चमत्कार” का अनुभव लेने का आग्रह किया।

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