प्रधानमंत्री मोदी-पुतिन की मुलाकात से कुछ देर पहले अमेरिका ने दिया भारत को “रिश्ते परिभाषित करने” का संकेत

Shortly before PM Modi-Putin meeting, US hints to India to "define relationship"चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: चीन के तिआनजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ गर्मजोशी से मुलाकात की। एक ओर जहां पीएम मोदी ने पुतिन और शी जिनपिंग से हाथ मिलाए और गले मिले, वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने भारत-अमेरिका रिश्तों को “21वीं सदी की परिभाषित साझेदारी” बताया है।

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। अमेरिकी दूतावास द्वारा X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए एक पोस्ट में रुबियो ने कहा, “इस महीने हम उन लोगों, प्रगति और संभावनाओं को उजागर कर रहे हैं जो हमें आगे बढ़ा रहे हैं। नवाचार, उद्यमिता, रक्षा और द्विपक्षीय संबंधों से लेकर, यह हमारे दोनों देशों के बीच गहरी दोस्ती है जो इस यात्रा को गति देती है।” रुबियो की यह टिप्पणी ठीक उसी समय आई जब पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात हो रही थी।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत, चीन और रूस जैसे यूरेशियाई शक्तिशाली देश एससीओ समिट में एक साथ मिल रहे हैं और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ व्यापार युद्ध छेड़ा हुआ है। ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले को लेकर भारतीय निर्यातों पर 50% टैरिफ लगा दिए हैं। भारत ने इन टैरिफ को “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अव्यवहारिक” बताया है और कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा।

एससीओ समिट में पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन को हाथ में हाथ डाले टहलते हुए देखा गया, जिससे यह संदेश साफ गया कि अमेरिका की धमकियों से भारत अपने पुराने सहयोगियों से रिश्ते नहीं तोड़ेगा। इसके बाद दोनों नेता चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत करते नजर आए। तीनों नेताओं के बीच की मुस्कुराहटें और सहज बातचीत ने नई अटकलों को जन्म दिया, लेकिन उनका आत्मविश्वास भरा रवैया अमेरिका के लिए चिंता का विषय जरूर बन सकता है।

भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत यह रही कि एससीओ देशों ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और पीएम मोदी के उस बयान का समर्थन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं।” समिट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे और संयुक्त घोषणा में मोदी की बातों की गूंज को भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है।

घोषणा में एक और अहम बिंदु था – ईरान पर अमेरिका और इज़राइल द्वारा किए गए सैन्य हमलों की भी कड़ी आलोचना की गई। इसमें कहा गया, “नागरिक ठिकानों, खासकर परमाणु ऊर्जा संरचनाओं पर ऐसे आक्रामक हमले, जिनमें नागरिकों की जान गई, अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का घोर उल्लंघन हैं। ये ईरान की संप्रभुता पर हमला हैं और इससे क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति पर गंभीर खतरा उत्पन्न होता है।”

इस समिट के माध्यम से भारत ने न केवल वैश्विक मंच पर अपने मजबूत रिश्तों को दर्शाया, बल्कि अमेरिका को भी स्पष्ट संकेत दिया कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए स्वतंत्र और संतुलित विदेश नीति अपनाएगा।

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