शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा सफलतापूर्वक पूर्ण, धरती पर सुरक्षित वापसी

Shubhanshu Shukla's historic space journey completed successfully, returned safely to earthचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुँचने वाले अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला मंगलवार को सुरक्षित रूप से धरती पर लौट आए। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन और Axiom Space मिशन-4 (Ax-4) के सदस्य शुक्ला, स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट “Grace” से कैलिफ़ोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में भारतीय समयानुसार दोपहर 3:01 बजे (केंद्रीय समयानुसार सुबह 4:31 बजे) सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन किए गए।

स्पेसएक्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट कर कहा, “ड्रैगन का स्प्लैशडाउन सफल रहा – धरती पर आपका स्वागत है, AstroPeggy, Shux, astro_slawosz, और Tibi!”

शुभांशु शुक्ला के साथ इस मिशन में अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोस्ज़ उज़्नांस्की-विस्निवेस्की और हंगरी के टिबोर कापु शामिल थे। यह दल सोमवार को भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजे (केंद्रीय समयानुसार सुबह 3:30 बजे) ISS से रवाना हुआ था। शुक्ला ने 26 जून को ISS की ओर उड़ान भरी थी। वे राकेश शर्मा (1984) के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं।

पृथ्वी पर वापसी से पहले स्पेसक्राफ्ट ने 18 मिनट लंबी ‘डी-ऑर्बिट बर्न’ प्रक्रिया को पूरा किया। यह प्रक्रिया प्रशांत महासागर के ऊपर हुई और इस दौरान कैप्सूल का तापमान 1600 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया। रिएंट्री के समय लगभग सात मिनट तक स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूट गया था, जिसे “ब्लैकआउट पीरियड” कहा जाता है।

कैप्सूल का ‘ट्रंक’ अलग करने और हीट शील्ड की दिशा निर्धारित करने के बाद दो चरणों में पैराशूट सिस्टम सक्रिय हुआ—पहले 5.7 किमी की ऊँचाई पर स्टेबलाइजिंग चूट्स खुले और फिर लगभग 2 किमी की ऊँचाई पर मुख्य पैराशूट खुले, जिससे सुरक्षित स्प्लैशडाउन संभव हुआ।

स्पेसएक्स ने जानकारी दी कि यह कैलिफ़ोर्निया तट पर ड्रैगन का दूसरा मानव अंतरिक्ष मिशन स्प्लैशडाउन था। इससे पहले फ्रेम2 मिशन ने अप्रैल में वेस्ट कोस्ट पर रिकवरी ऑपरेशन की शुरुआत की थी।

अपने दो सप्ताह से अधिक लंबे ISS प्रवास के दौरान शुभांशु शुक्ला ने 310 से अधिक बार पृथ्वी की परिक्रमा की, जिसमें उन्होंने कुल 1.3 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की — यह दूरी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 33 गुना अधिक है। उन्होंने और उनके दल ने 300 से अधिक सूर्योदय और सूर्यास्त का अवलोकन भी किया।

इसरो ने सोमवार को जानकारी दी कि शुक्ला ने मिशन के दौरान सभी सात सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण प्रयोग (microgravity experiments) सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। इनमें भारतीय टार्डिग्रेड्स की प्रजाति, मांसपेशी निर्माण (myogenesis), मेथी और मूंग बीजों का अंकुरण, सायनोबैक्टीरिया, माइक्रोएल्गी, फसल बीज, और वॉयेजर डिस्प्ले से जुड़े प्रयोग शामिल हैं।

यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो आने वाले गगनयान मिशन के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।

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