‘गड्डे गड्डे चा’ को सर्वश्रेष्ठ पंजाबी फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने से सोनम बाजवा खुश
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: पंजाबी सिनेमा के लिए यह एक गर्व का पल है, जब वर्ष 2023 की लोकप्रिय फिल्म ‘गड्डे गड्डे चा’ को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में ‘सर्वश्रेष्ठ पंजाबी फिल्म’ का सम्मान प्राप्त हुआ। सोनम बाजवा और तानिया अभिनीत इस फिल्म ने न केवल दर्शकों का दिल जीता, बल्कि अब इसे देश के सर्वोच्च फिल्म सम्मान से नवाज़ा गया है।
फिल्म में ‘रानी’ का किरदार निभाने वाली सोनम बाजवा ने इस उपलब्धि पर सोशल मीडिया पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए इसे एक “truly humbling experience” बताया। उन्होंने लिखा, “मैं उन सभी लोगों की आभारी हूं जिन्होंने इस फिल्म को बनाने में मेहनत की और इसे साकार किया। दर्शकों ने इस फिल्म को जितना प्यार दिया, वही हमारी सबसे बड़ी जीत थी। अब इसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना किसी वरदान से कम नहीं है। यह मेरे करियर का एक महत्वपूर्ण पल है।”
विजय कुमार अरोड़ा द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने नारी सशक्तिकरण की एक खूबसूरत झलक पेश की। फिल्म की कहानी रानी (सोनम बाजवा) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने गांव की महिलाओं को बारात में ले जाने का सपना देखती है — एक ऐसा सपना जो उस दौर में पंजाब की महिलाओं के लिए बस कल्पना भर था।
फिल्म में ‘निको’ का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री तानिया ने भी इस उपलब्धि पर अपने जज़्बात साझा किए। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, “आज जब यह खबर मिली कि हमारी फिल्म ‘गड्डे गड्डे चा’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है, तो आंखों से फिर आंसू बह निकले… मगर इस बार ये आंसू खुशी के थे। ईश्वर की बेहद आभारी हूं। पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई।”
तानिया ने अपनी अगली फिल्म ‘फाफे कुत्तनियां’ को लेकर भी उत्साह जताया और बताया कि यह प्रोजेक्ट उनके दिल के बेहद करीब है। उन्होंने लिखा, “यह मेरा अब तक का सबसे प्रिय प्रोजेक्ट है। मैं चाहती हूं कि यह फिल्म पहले से कहीं ज़्यादा प्यार और सराहना पाए। दिल से प्रार्थना है कि एक और राष्ट्रीय पुरस्कार इसे मिले।”
पंजाबी सिनेमा में महिलाओं की भूमिका और सामाजिक सीमाओं को चुनौती देती कहानियों की कड़ी में ‘गड्डे गड्डे चा’ ने एक नई मिसाल कायम की है। सोनम बाजवा और तानिया जैसे कलाकारों की प्रतिबद्धता और सशक्त अभिनय ने फिल्म को वह ऊंचाई दी, जो अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचानी जा रही है। यह पुरस्कार न केवल एक फिल्म की जीत है, बल्कि पूरे पंजाबी सिनेमा की प्रगति और रचनात्मकता की गूंज है।
