पुल ढहने के मामले में निलंबित अधिकारियों को बहाल करने पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाई
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पुलों के गिरने के बाद अधिकारियों को निलंबित किया गया, लेकिन जब विवाद शांत हो गया तो उन्हें फिर से बहाल कर दिया गया। इस पर कोर्ट ने चिंता जताई और एक पीआईएल (जनहित याचिका) को पटना उच्च न्यायालय को स्थानांतरित कर दिया, जिसमें बिहार में पुलों की सुरक्षा और उनके दीर्घकालिक स्थिति को लेकर चिंता जताई गई थी। याचिका में हाल के महीनों में कई पुलों के गिरने की घटनाओं का उल्लेख किया गया था।
कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार का जो विस्तृत जवाब पेश किया गया है, उसमें कई योजनाओं और नीतियों का जिक्र है, लेकिन उन घटनाओं के लिए कोई ठोस कारण नहीं दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने पीआईएल को पटना उच्च न्यायालय को स्थानांतरित करते हुए कहा कि वहां पुलों की संरचनात्मक और सुरक्षा ऑडिट की निगरानी की जा सकती है, और इसे महीने में एक बार जांचा जा सकता है।
राज्य सरकार ने कोर्ट में यह कहा कि उसने राज्य के लगभग 10,000 पुलों का निरीक्षण किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य ने जो विवरण दिया है, वह इस मुद्दे के समाधान के लिए पर्याप्त नहीं है। इस मामले की अगली सुनवाई 14 मई को पटना उच्च न्यायालय में होगी।
इस पीआईएल में बिहार में पुलों की सुरक्षा को लेकर एक विशेषज्ञ पैनल के गठन और वास्तविक समय में पुलों की निगरानी की मांग की गई है। खासकर बिहार को बाढ़-प्रवण राज्य होने के कारण, जहां भारी बारिश और बाढ़ के दौरान पुलों की स्थिति और भी ज्यादा खतरे में होती है। पीआईएल में यह भी कहा गया है कि बिहार में पुलों के गिरने की घटनाओं की वजह से लोगों की जान जोखिम में है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के सभी पुराने पुलों का सर्वेक्षण कर यह पता करने का निर्देश दिया है कि कौन से पुलों को तत्काल मरम्मत की जरूरत है।