सुरवीन चावला ने दीपिका पादुकोण का समर्थन किया, कहा – “मां होने का मतलब यह नहीं कि आपकी पेशेवर प्राथमिकताएं कम हो जाएं”

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेत्री सुरवीन चावला ने हाल ही में दीपिका पादुकोण के आठ घंटे की वर्क शिफ्ट की मांग पर चल रहे विवाद में उनका समर्थन किया है। सुरवीन ने कहा कि इंडस्ट्री को नई मांओं के लिए ज्यादा सहयोगी और संवेदनशील बनने की जरूरत है।
दीपिका पादुकोण ने निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म ‘स्पिरिट’ को छोड़ दिया था क्योंकि उन्होंने एक दिन में केवल आठ घंटे काम करने की मांग की थी, जिससे फिल्म के शेड्यूल को लेकर मतभेद हो गया। इस पर इंडस्ट्री में काफी चर्चा हुई, जिसे अब सुरवीन चावला ने भी जरूरी बहस बताया।
ईटाइम्स से बातचीत में सुरवीन ने कहा, “मुझे लगता है कि इंडस्ट्री का माहौल ऐसा होना चाहिए जो नई मांओं के लिए काम करने में मददगार साबित हो। एक नई मां होने के नाते कई जिम्मेदारियां होती हैं, और हमें इसका सम्मान करना चाहिए। यह सवाल उठाना ही गलत है कि वह ऐसा क्यों चाहती हैं। अगर यह ज़रूरत है, तो इसे स्वीकार किया जाना चाहिए।”
“पर्सनल पैशन को खत्म नहीं किया जा सकता”
सुरवीन ने यह भी कहा कि यह अकेले मांओं की बात नहीं है, बल्कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री को अपने वर्क कल्चर पर विचार करना चाहिए।
“यह एकमात्र इंडस्ट्री है जहां काम के घंटे इतने अनियमित और लंबे होते हैं। शूटिंग के दौरान आप कई दिन तक अपने परिवार, बच्चों और जीवनसाथी से नहीं मिल पाते। यह ठीक नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा,
“किसी महिला के मां बनने के बाद यह मान लेना कि वह अब अपनी प्रोफेशनल जिम्मेदारियां नहीं निभा सकती, गलत है। आप किसी का व्यक्तिगत जुनून सिर्फ इसलिए नहीं छीन सकते कि वह अब एक मां है। यह सोच ही बदलने की जरूरत है।”
“हर किसी के लिए हो नियम, सिर्फ मांओं के लिए नहीं”
सुरवीन ने सुझाव दिया कि फिल्म इंडस्ट्री में भी अन्य पेशों की तरह नियम और तय समय होने चाहिए।
“हर पेशे में एक निश्चित समय होता है—ऑफिस जाने का, वापस आने का, परिवार के साथ वक्त बिताने का। तो फिल्म इंडस्ट्री में क्यों नहीं? हमें भी एक ऐसा ही सिस्टम चाहिए जो पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाए रखे।”
अंत में सुरवीन ने कहा, “अगर हम सात-आठ घंटे काम कर के हर दिन जी सकें, जैसे आम लोग जीते हैं, तो कितना अच्छा होगा। यह फिलहाल कल्पना जैसा लगता है, लेकिन उम्मीद है कि एक दिन हम वहां तक पहुंच पाएंगे।”
दीपिका पादुकोण लंबे समय से वर्क-लाइफ बैलेंस की वकालत करती रही हैं और इस विवाद ने एक बार फिर इंडस्ट्री में काम के घंटे और कलाकारों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चर्चा छेड़ दी है।